हरियाणा में किसानो के लिए आई एक और खुशख़बरी, सरकार ने जंगली जानवरों के नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा योजना लागू की
Haryana News: हरियाणा सरकार ने अधिसूचना जारी कर जंगली जानवरों द्वारा किसानों की फसल, आवास, मवेशियों और अन्य संपत्तियों को पहुंचाए गए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा निर्धारित किया है। जंगली जानवरों के कारण हुए हादसों में मृत्यु, अपंगता और चोटिल होने पर भी मुआवजा दिया जाएगा।
विजय बंसल की पहल से आई मुआवजा योजना
हरियाणा किसान कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल एडवोकेट ने इस मुआवजा योजना को लागू करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 2013 से ही इस मुद्दे पर प्रयास शुरू किए और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट, चंडीगढ़ में जनहित याचिका (संख्या 13653) दायर की। बंसल ने सरकार को कानूनी नोटिस और ज्ञापन देकर किसानों के नुकसान की भरपाई की मांग की थी। उनकी याचिका पर कोर्ट के आदेशों के बाद सरकार ने यह मुआवजा योजना लागू की।
मुआवजा राशि का विवरण
फसलों का नुकसान:
- बरसात आधारित फसलें: ₹6,800 प्रति हेक्टेयर
- सिंचाई आधारित फसलें: ₹13,500 प्रति हेक्टेयर
- बारहमासी फसलें: ₹18,000 प्रति एकड़
- रेशम पालन:
- इरी मलबेरी और टसर: ₹4,800 प्रति एकड़
- मूगा: ₹6,000 प्रति एकड़
आवास का नुकसान:
- पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त पक्का/कच्चा घर:
- मैदानी क्षेत्र: ₹95,100 प्रति घर
- पहाड़ी क्षेत्र: ₹1,01,900 प्रति घर
- आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घर:
- झोपड़ी के अलावा: ₹5,200 या ₹3,200 प्रति घर
- झोपड़ी: ₹4,100 प्रति झोपड़ी
- मवेशी शेड (छप्पर): ₹2,100 प्रति छप्पर
जनहानि:
- व्यक्ति की मृत्यु: ₹2,00,000
- व्यक्ति अपंग: ₹1,00,000
- बच्चे की मृत्यु: ₹70,000
- बच्चे अपंग: ₹35,000
मवेशियों का नुकसान:
- गाय/सांड: ₹12,000
- भैंस: ₹30,000
- गाय के बछड़े: ₹6,000
- भैंस के बछड़े: ₹7,000
- भेड़: ₹3,000
- बकरा: ₹3,500
- ऊंट: ₹20,000
- घोड़ा/घोड़ी: ₹30,000
जनहित याचिका में समस्या का उल्लेख
विजय बंसल ने कोर्ट में बताया कि हरियाणा के कई गांव वन क्षेत्रों के पास स्थित हैं। यहां जंगली जानवर, जैसे जंगली सूअर और नीलगाय, फसलों को बर्बाद करते हैं और मवेशियों को नुकसान पहुंचाते हैं। सिंचाई की कमी और सीमित संसाधनों के चलते किसान पहले ही आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। जंगली जानवरों के कारण उनका नुकसान और बढ़ जाता है।
7 साल का संघर्ष रंग लाया
बंसल ने बताया कि उन्होंने 2013 में प्रधान सचिव वन विभाग, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, और जिला उपायुक्तों को कानूनी नोटिस भेजे। 2015 में कृषि मंत्री को ज्ञापन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद, 2018 में कोर्ट की अवमानना याचिका और 2019 में सरकार पर दबाव डालकर मुआवजा निर्धारित करवाने का आदेश दिलाया।
सरकार द्वारा जारी इस अधिसूचना का किसानों ने स्वागत किया है और इसे किसान हित में एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है।