किसानों के लिए जरूरी खबर, गेहूं की फसल को बचाने के लिए करें ये काम, 15 जनवरी तक की कृषि सलाह जारी
Haryana News: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) ने देश के सभी गेहूं उत्पादक किसानों के लिए 15 जनवरी तक की कृषि सलाह जारी की है। संस्थान ने बताया कि देश में अधिकांश क्षेत्रों में गेहूं की बिजाई पूरी हो चुकी है। अनुकूल मौसम के कारण फसल की वानस्पतिक वृद्धि और फुटाव संतोषजनक है। उत्तर भारत में हाल ही में हुई वर्षा को ध्यान में रखते हुए, संस्थान ने गेहूं की बेहतर वृद्धि के लिए प्रति एकड़ 40 किलोग्राम यूरिया की खुराक देने की सिफारिश की है।
महत्वपूर्ण सुझाव और सावधानियां
1. सिंचाई और मौसम पर ध्यान दें:
- जिन क्षेत्रों में वर्षा नहीं हुई है, वहां फसल को ठंड से बचाने के लिए सिंचाई करें।
- सिंचाई विवेकपूर्ण तरीके से करें ताकि लागत और पानी की बचत हो।
- बारिश के पूर्वानुमान की स्थिति में सिंचाई न करें, जिससे खेतों में जलभराव न हो।
2. नाइट्रोजन और यूरिया का सही उपयोग:
- फसल में पीलापन दिखने पर नाइट्रोजन का अधिक उपयोग न करें।
- कोहरे या बादल वाले मौसम में नाइट्रोजन का प्रयोग करने से बचें।
- संरक्षण कृषि में यूरिया का छिड़काव सिंचाई से ठीक पहले करें।
3. पीला रतुआ और फसल निरीक्षण:
- पीला रतुआ (यलो रस्ट) संक्रमण के लिए फसल का नियमित निरीक्षण करें।
- रोग के लक्षण दिखने पर नजदीकी संस्थान, कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क करें।
- फसल में पीलापन अन्य कारणों से भी हो सकता है, इसलिए विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार रोग का उपचार करें।
4. खरपतवार और कीट नियंत्रण:
- खरपतवार प्रबंधन का उचित पालन करें।
- दीमक के संक्रमण पर नियंत्रण के उपाय करें।
संस्थान के निदेशक का संदेश
संस्थान के निदेशक, डॉ. रतन तिवारी, ने किसानों को सलाह दी है कि पीला रतुआ के लिए अनुकूल मौसम को ध्यान में रखते हुए नियमित रूप से फसल का निरीक्षण करें। रोग की पहचान और नियंत्रण के लिए विशेषज्ञों की मदद लें।
निष्कर्ष
यह सलाह किसानों को उनकी फसल को रोगों और ठंड के प्रभाव से बचाने, पानी और संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करने और बेहतर उत्पादन सुनिश्चित करने में मदद करेगी। किसान नियमित निरीक्षण और संस्थानों से संपर्क कर इन सिफारिशों का पालन करें।