अधर में समालखा रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण, ग्रामीणों को हो रही भारी परेशानी, 2021 थी डेडलाइन
दिल्ली-अंबाला रेलवे लाइन पर हरियाणा के समालखा के नजदीक मनाना गांव में बन रहे रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) का निर्माण पिछले तीन सालों से अधर में लटका हुआ है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी बीएंडआर) की लापरवाही के कारण सैकड़ों ग्रामीणों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
तीन साल से लटका है निर्माण कार्य
करीब 17.39 करोड़ रुपये की लागत वाले इस परियोजना की समय सीमा नवंबर 2021 में समाप्त हो चुकी है, लेकिन अब तक इसका निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। मनाना गांव के निवासी और अधिवक्ता जुगविंदर पाल सिंह राठी ने इस मुद्दे को उपायुक्त वीरेंद्र सिंह दहिया के समक्ष समाधान शिविर में उठाया।
2019 में हुआ था टेंडर आवंटित
जानकारी के अनुसार, पीडब्ल्यूडी बीएंडआर ने 2019 में इस परियोजना का टेंडर पीएस इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित किया था। मई 2020 में कंपनी ने आरओबी का निर्माण कार्य शुरू किया। समझौते के अनुसार, कंपनी को यह कार्य 18 महीने में पूरा करना था, जिसकी डेडलाइन नवंबर 2021 तय की गई थी।
672.86 मीटर लंबा और 10 मीटर चौड़ा आरओबी
सूत्रों के मुताबिक, इस आरओबी की लंबाई 672.86 मीटर और चौड़ाई 10 मीटर होनी थी, जिसमें रेलवे का हिस्सा 67.36 मीटर शामिल है। मनाना गांव और एनएच-44 के बीच एक रेलवे क्रॉसिंग स्थित है। दिल्ली-अंबाला रेलवे ट्रैक पर अत्यधिक ट्रेन यातायात होने के कारण कई गांवों के लोग इस क्रॉसिंग पर काफी समय तक इंतजार करने को मजबूर थे।
केवल 60% कार्य हुआ पूरा
मनाना, नारायणा, धोधपुर और वजीरपुर समेत कई गांवों के निवासियों की लंबे समय से इस ओवरब्रिज की मांग थी। इसे ध्यान में रखते हुए पीडब्ल्यूडी ने पांच साल पहले टेंडर जारी किया था। लेकिन अभी तक केवल 60% काम ही पूरा हो पाया है। मनाना के निवासी अमित राठी ने बताया कि ठेकेदार और विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण सैकड़ों ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
तीन साल से बंद है रेलवे क्रॉसिंग
मनाना रेलवे क्रॉसिंग के तीन साल से बंद होने के कारण मनाना, नारायणा, खलीला, धोधपुर, वजीरपुर, तीताना और बुरश्याम के ग्रामीणों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अपने कामों के लिए ग्रामीणों को पानिपत, समालखा और एनएच-44 तक नारायणा गांव के क्रॉसिंग से होकर जाना पड़ता है। इससे रोजाना लंबे ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है।
विभाग की निष्क्रियता पर सवाल
अधिवक्ता जुगविंदर पाल सिंह राठी ने आरटीआई के जवाब का हवाला देते हुए बताया कि ठेकेदार को आखिरी भुगतान पहले ही कर दिया गया था। पीडब्ल्यूडी ने 2021 में ठेकेदार को काम में देरी को लेकर छह पत्र लिखे थे, लेकिन इसके बाद विभाग ने ठेकेदार के खिलाफ न तो कोई चेतावनी जारी की और न ही कोई कार्रवाई की।
राठी ने आरोप लगाया कि “पिछले तीन वर्षों से निर्माण कार्य में देरी पर ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई न करना विभाग में भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।”
यह मामला प्रशासन और पीडब्ल्यूडी की उदासीनता को दर्शाता है, जिससे ग्रामीणों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।