प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फर्जीवाड़ा: हिसार जिले के गांव में फसल बीमा घोटाला उजागर होने के बाद कृषि विभाग ने दिए जांच के आदेश



हिसार: हरियाणा के हिसार जिले के किर्तन गांव में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत फर्जीवाड़े का एक बड़ा मामला सामने आया है। यहां किसानों ने शिकायत की है कि उनकी जमीन पर बिना उनकी सहमति के फसल बीमा किया गया है। किसानों का दावा है कि उनकी जमीन पर चना (काबुली चना) की फसल का बीमा किया गया, जबकि उन्होंने अपनी जमीन पर गेहूं और सरसों की फसल बोई थी।

फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल कर फसल बीमा का दावा

कृषि विभाग में दर्ज शिकायतों के अनुसार, फर्जी "किरायेदार प्रमाणपत्र" का उपयोग कर कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या बीमा एजेंसियों में फसल बीमा कराया गया। इन दस्तावेज़ों के माध्यम से दावा किया गया कि जमीन किराए पर ली गई है और फसल उगाई जा रही है।

गांव के 200 से अधिक किसान प्रभावित

गांव वालों ने पता लगाया कि उनके गांव और हिसार के बाहर के कुछ लोग उनकी जमीन का बीमा करवा रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रभावित जमीनों की सूची बनाई और इसे व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से साझा किया। "हमने किसानों को उनकी फसलों की बीमा स्थिति के बारे में सतर्क किया है," एक ग्रामीण ने कहा। उन्होंने बताया कि गांव में किसी ने भी अपनी जमीन बाहरी लोगों को किराए पर नहीं दी है।

कृषि विभाग ने जांच के आदेश दिए

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक हिसार के कृषि उप निदेशक (DDA) राजबीर सिंह ने बताया कि इस मामले में कई शिकायतें मिली हैं। "प्रभावित किसानों की सूची बीमा कंपनी को भेजी गई है, जो डेटा की जांच कर रही है। यदि फसलों का गलत बीमा हुआ है, तो बीमा राशि वापस की जाएगी," उन्होंने कहा। साथ ही, किसानों को सुझाव दिया गया कि वे चाहें तो आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

पहले भी हो चुका है ऐसा फर्जीवाड़ा

गौरतलब है कि PMFBY के तहत पहले भी इस तरह की धोखाधड़ी सामने आ चुकी है। सूत्रों के अनुसार, भिवानी जिले के रोहनात गांव में करीब 100 लोगों को इसी तरह के घोटाले में बुक किया गया था। वहां भी किसानों की बैंक डिटेल्स और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर फसल बीमा किया गया था।

सरकार से मांग: दोषियों पर हो सख्त कार्रवाई

किसानों और ग्रामीणों ने प्रशासन से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसे घोटाले किसानों के हितों के खिलाफ हैं और इससे उनका भरोसा योजना पर से उठ सकता है।

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