हरियाणा चुनाव विवाद: हाईकोर्ट में चुनौती, 23 विधायकों की सदस्यता खतरे में! बीजेपी के 18 MLA
चंडीगढ़: हरियाणा में हुए विधानसभा चुनावों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस पार्टी ने चुनाव में धांधली, ईवीएम में गड़बड़ी और सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप लगाते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया है। हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में 23 विधायकों की जीत को चुनौती दी गई है, जिनमें से 18 विधायक भाजपा के हैं, जबकि चार मंत्री पद पर काबिज हैं। अगर अदालत ने इन आरोपों को सही पाया, तो इन विधायकों की सदस्यता रद्द हो सकती है, जिससे हरियाणा की भाजपा सरकार संकट में आ सकती है।
चुनाव नतीजों पर सवाल, कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप
हरियाणा में भाजपा को सरकार बनाने के लिए 90 में से 46 सीटों की जरूरत थी, लेकिन पार्टी ने 48 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया।यह नतीजे कांग्रेस और राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चौंकाने वाले थे, क्योंकि शुरुआती आकलनों में भाजपा को बहुमत से दूर बताया जा रहा था।
चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस ने ईवीएम में हेरफेर, प्रशासन के दुरुपयोग और विपक्षी वोटरों को रोकने जैसे आरोप लगाए। कांग्रेस का दावा है कि दोपहर 3 बजे से 5 बजे तक बड़े पैमाने पर बोगस वोटिंग हुई, लेकिन जब चुनाव आयोग से सीसीटीवी फुटेज मांगे गए, तो उन्हें देने से इनकार कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब
हाईकोर्ट में कांग्रेस नेताओं द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई शुरू हो चुकी है। अदालत ने कुछ मामलों में चुनाव आयोग और अन्य सरकारी एजेंसियों से जवाब तलब किया है। कांग्रेस का कहना है कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर भाजपा ने विपक्षी उम्मीदवारों के वोट कटवाए और चुनावी खर्च सीमा से 10-20 गुना ज्यादा खर्च किया।
इन मंत्रियों के चुनाव पर खतरा
याचिकाओं में चार कैबिनेट मंत्रियों की जीत को चुनौती दी गई है:
- आरती सिंह राव (स्वास्थ्य मंत्री, अटेली) – कांग्रेस के अतर लाल ने याचिका दायर की।
- विपुल गोयल (शहरी निकाय मंत्री, फरीदाबाद) – कांग्रेस के लखन सिंगला ने चुनौती दी।
- महीपाल ढांडा (शिक्षा मंत्री, पानीपत ग्रामीण) – कांग्रेस के सचिन ने याचिका दायर की।
- गौरव गौतम (खेल राज्य मंत्री, पलवल) – कांग्रेस के करण दलाल ने चुनौती दी।
इन भाजपा विधायकों की जीत पर सवाल
हाईकोर्ट में भाजपा के 18 विधायकों के खिलाफ याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें शामिल हैं:
- देवेंद्र अत्री (उचाना)
- धनेश अदलखा (बड़खल)
- हरिंदर सिंह (होडल)
- रणधीर पनिहार (नलवा)
- सतीश कुमार (फरीदाबाद एनआईटी)
- सुनील सांगवान (दादरी)
- कृष्ण कुमार रंगा (बावल)
- कृष्णा गहलावत (राई)
- भगवान दास कबीरपंथी (नीलोखेड़ी)
- रामकुमार कश्यप (इंद्री)
- निखिल मदान (सोनीपत)
- रामकुमार गौतम (सफीदों)
- पवन खरखौदा (खरखौदा)
कांग्रेस और इनेलो के विधायक भी निशाने पर
भाजपा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस और इनेलो के विधायकों के खिलाफ भी चुनावी धांधली को लेकर याचिकाएं दायर की गई हैं:
- अशोक अरोड़ा (थानेसर, कांग्रेस)
- चंद्रमोहन बिश्नोई (पंचकूला, कांग्रेस)
- राजबीर फरटिया (लोहारू, कांग्रेस)
- आदित्य देवीलाल (डबवाली, इनेलो)
निर्दलीय विधायक भी कटघरे में
- राजेश जून (बहादुरगढ़, निर्दलीय) – चुनाव को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
क्या भाजपा सरकार संकट में है?
हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 48 विधायक हैं, जो बहुमत से सिर्फ 2 अधिक हैं। अगर हाईकोर्ट ने 23 में से कुछ विधायकों की सदस्यता रद्द की, तो भाजपा का बहुमत खतरे में पड़ सकता है। ऐसे में सवाल उठता है:
- क्या कुछ सीटों पर उपचुनाव होगा?
- क्या सरकार बचाने के लिए गठबंधन की जरूरत पड़ेगी?
- क्या भाजपा सरकार गिर सकती है?
चुनाव आयोग की भूमिका पर उठे सवाल
हाईकोर्ट के फैसले से चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर भी सवाल उठ सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव परिणामों को चुनौती देने की परंपरा रही है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में विधायकों के खिलाफ याचिकाएं पहली बार दायर की गई हैं।
हरियाणा विधानसभा सीटों का गणित
- भाजपा: 48 सीटें
- कांग्रेस: 37 सीटें
- इनेलो: 2 सीटें
- निर्दलीय: 3 सीटें
फैसला हाईकोर्ट के हाथ में
अब इस मामले की सुनवाई फरवरी में होने वाली है। अगर कोर्ट ने भाजपा के खिलाफ फैसला दिया, तो हरियाणा की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है। अब सबकी नजरें हाईकोर्ट पर टिकी हैं, जो जल्द ही यह तय करेगा कि क्या चुनाव निष्पक्ष थे या धांधली हुई थी।