Haryana News चरखी दादरी: जिले की 167 ग्राम पंचायतों के लिए वर्ष 2024 की अंतिम किस्त के रूप में पीआरआई (पंचायती राज इंस्टीट्यूशन्स) ग्रांट का बजट जारी कर दिया गया है। यह राशि पंचायतों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर कर दी गई है। केंद्र सरकार ने आबादी के आधार पर 25 करोड़ रुपये की राशि पीआरआई ग्रांट के रूप में दी है, जिसका उपयोग गांवों में छोटे स्तर के विकास और मरम्मत कार्यों के लिए किया जाएगा।
टेंडर प्रक्रिया की जरूरत नहीं
सरकार द्वारा दी गई इस ग्रांट का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे खर्च करने के लिए किसी टेंडर प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं है। इससे विकास कार्यों में तेजी लाई जा सकती है।
हर साल दो बार जारी होती है ग्रांट
हर साल केंद्र सरकार द्वारा जिले की ग्राम पंचायतों को 25 करोड़ रुपये की ग्रांट आबादी के आधार पर दी जाती है। यह राशि साल में दो किस्तों में जारी की जाती है। इस ग्रांट का उपयोग गांवों में नालों, छोटी गलियों और अन्य छोटे-मोटे विकास कार्यों के लिए किया जाता है।
ग्राम स्वराज पोर्टल की मदद से जारी होती है ग्रांट
पंचायत विभाग ने “ग्राम स्वराज” नाम से एक पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल पर सभी ग्राम पंचायतों का डाटा अपलोड किया गया है, जिसमें गांवों की जनसंख्या, विकास कार्यों की स्थिति और अन्य आवश्यक जानकारी शामिल है। इसी डाटा के आधार पर पीआरआई ग्रांट जारी की जाती है।
आबादी के आधार पर होती है ग्रांट का वितरण
इस ग्रांट का वितरण गांवों की आबादी के अनुसार किया जाता है। बड़ी आबादी वाले गांवों को ज्यादा और छोटी आबादी वाले गांवों को कम राशि मिलती है। बड़ी पंचायतों को करीब 30 लाख रुपये जबकि छोटी पंचायतों को 10 लाख रुपये तक का बजट मिलता है।
बड़े गांवों को मिला अधिक बजट
जिले के सांवड़, इमलोटा, रानीला, अचीना, मिसरी, पैंतावास कलां, चरखी, ढाणी फोगाट, झोझूकलां, बाढड़ा, बौंदकलां, बेरला और कादमा जैसे बड़े गांवों को अधिक बजट आवंटित किया गया है। इन गांवों की गिनती जिले की प्रमुख पंचायतों में होती है, और इनकी आबादी अधिक होने के कारण इन्हें 30 लाख रुपये तक का बजट मिला है।
ग्रांट से तेजी आएगी विकास कार्यों में
यह ग्रांट पंचायतों के विकास कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है। इससे गांवों में आवश्यक मरम्मत और छोटे स्तर के विकास कार्य किए जा सकेंगे। सरपंचों को इसे जरूरत और प्राथमिकता के आधार पर खर्च करने की स्वतंत्रता दी गई है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जा सके।