नगर निगम पर उठ रहे सवाल: कुत्तों की नसबंदी पर खर्च हुए 1.45 करोड़, बावजूद इसके बच्चे पैदा कर रहे

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नया हरियाणा: यमुनानगर में आवारा कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। वर्ष 2017 में नगर निगम ने कुत्तों की नसबंदी पर 1.45 करोड़ रुपये खर्च कर 16,170 कुत्तों की नसबंदी का दावा किया था। यह कार्य यूपी के अलीगढ़ स्थित तिरुपति फाउंडेशन एनजीओ को सौंपा गया था। हालांकि, वर्तमान में शहर में आवारा कुत्तों की संख्या 50,000 से अधिक होने का अनुमान है। ऐसे में उस नसबंदी अभियान की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं।

नसबंदी प्रक्रिया पर उठे सवाल

आरटीआई एक्टिविस्ट वीरेन सपरा ने इस मामले में नगर निगम से आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी। आरटीआई से खुलासा हुआ कि नसबंदी का टेंडर बिना किसी सर्वे के एनजीओ को दिया गया था। नियमानुसार, नसबंदी के दौरान वीडियोग्राफी की जानी चाहिए थी, लेकिन इसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। इस पर नगर निगम की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

लोगों की परेशानियां बढ़ीं

शहर के हर गली-मोहल्ले में दर्जनों आवारा कुत्ते घूमते हैं। ये कुत्ते राहगीरों पर झपट पड़ते हैं, जिससे लोग लहूलुहान हो जाते हैं। कई बार कुत्तों के काटने से गंभीर दुर्घटनाएं भी सामने आई हैं। यहां तक कि सिविल अस्पताल परिसर में भी आवारा कुत्तों की भरमार है, जिससे डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मचारी और मरीज परेशान हैं।

स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के बीच तालमेल का अभाव

सीएमओ डॉक्टर मंजीत सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के पास आवारा कुत्तों की समस्या को हल करने के लिए न तो बजट है और न ही कर्मचारी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर नगर निगम को बार-बार पत्र लिखा गया है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है।

जनता की मांग

शहर के नागरिकों ने आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर जांच और कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि नसबंदी अभियान के बावजूद कुत्तों की संख्या में वृद्धि दर्शाती है कि उस समय की प्रक्रिया में गंभीर खामियां थीं।

समाधान की आवश्यकता

शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसके समाधान के लिए नगर निगम को ठोस कदम उठाने की जरूरत है। नसबंदी प्रक्रिया की जांच और भविष्य में इसकी पारदर्शिता सुनिश्चित करना भी जरूरी है, ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके।

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