चंडीगढ़: हरियाणा के गरीब और मेधावी छात्रों के लिए एक सुखद समाचार आया है, जो सरकारी विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। डॉक्टर बनने का सपना संजोए इन छात्रों को अब महंगे निजी संसाधनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
राज्य सरकार ने ऐसे छात्रों के लिए नि:शुल्क मेडिकल कोचिंग प्रदान करने की योजना बनाई है, जिससे वे नीट और अन्य मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में सफलता अर्जित कर सकें।
इस संबंध में शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा ने शिक्षा विभाग को निर्देशित किया है कि 10वीं और 12वीं के मेडिकल स्ट्रीम के छात्रों को केंद्र में रखते हुए इस योजना का विस्तृत प्रारूप तैयार किया जाए। यह पहल खासतौर पर उन गरीब परिवारों के बच्चों के लिए है, जो अपने चिकित्सकीय सपनों को आर्थिक सीमाओं के कारण अधूरा न छोड़ें।
प्रस्तावित योजना की संरचना
योजना के अंतर्गत, पाँच से सात गांवों को मिलाकर एक क्लस्टर तैयार किया जाएगा। इन क्लस्टरों में सरकारी स्कूलों के परिसरों में सायंकालीन समय में कोचिंग की व्यवस्था की जाएगी। प्रत्येक बैच में कम से कम 40 छात्रों को शामिल किया जाएगा। यह पहल उन छात्रों के लिए वरदान सिद्ध हो सकती है, जो महंगे निजी कोचिंग संस्थानों की भारी भरकम फीस वहन करने में असमर्थ हैं।
‘सुपर-100’ से होगी अलग
जहां राज्य पहले से ही ‘सुपर-100’ कार्यक्रम के तहत मेधावी छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सहायता प्रदान कर रहा है, वहीं यह योजना इस मौजूदा कार्यक्रम से भिन्न होगी। इसमें छात्रों को लाभ प्राप्त करने के लिए किसी प्रकार की लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके समानांतर चलने वाली यह योजना ज्यादा समावेशी होगी और उन छात्रों तक पहुंचेगी, जिन्हें सहायता की अत्यधिक आवश्यकता है।
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरुआत
शुरुआत में इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एक जिले में लागू किया जाएगा। यदि यह पहल सफल सिद्ध होती है, तो इसे पूरे राज्य में विस्तारित किया जाएगा। सरकारी विद्यालयों में कार्यरत विषय विशेषज्ञ शिक्षकों को इस कोचिंग के लिए जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर, निजी कोचिंग संस्थानों के अनुभवी शिक्षकों की सेवाएं भी ली जा सकती हैं।
इस योजना का उद्देश्य न केवल आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को सहारा देना है, बल्कि उनकी क्षमताओं को निखारकर उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सशक्त बनाना भी है।
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