ओम प्रकाश चौटाला: हरियाणा की राजनीति का एक युग का अंत, अब कौन उठाएगा किसान-कमेरे की आवाज?
हरियाणा की राजनीति में ओम प्रकाश चौटाला का नाम हमेशा एक मजबूत और जमीनी नेता के रूप में लिया जाएगा। 1 जनवरी 1935 को सिरसा जिले के चौटाला गांव में जन्मे ओम प्रकाश चौटाला ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। अपने राजनीतिक कौशल और संघर्षशील स्वभाव से उन्होंने न केवल हरियाणा में, बल्कि पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
मुख्यमंत्री पद की यात्रा
ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री पद पर पांच बार आसीन हुए। पहली बार 2 दिसंबर 1989 को उन्होंने मुख्यमंत्री का पद संभाला और 22 मई 1990 तक इस पर बने रहे। यह उनका मुख्यमंत्री बनने की शुरुआत थी, लेकिन इसके बाद उनका सफर और भी चुनौतीपूर्ण रहा।
12 जुलाई 1990 को चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता को सिर्फ दो माह के भीतर पद से हटा दिया गया था। हालांकि, यह कार्यकाल भी सिर्फ पांच दिनों तक ही चल सका और उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। 22 अप्रैल 1991 को तीसरी बार उन्होंने मुख्यमंत्री पद संभाला, लेकिन दो हफ्ते बाद ही केंद्र सरकार ने हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।
1996 में लोकसभा चुनाव के बाद चौटाला ने हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय) नाम से अपनी नई पार्टी बनाई। 1998 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन कर हरियाणा में पांच लोकसभा सीटें जीतीं। इस सफलता ने उनकी पार्टी को मान्यता दिलाई और पार्टी का नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) कर दिया गया।
24 जुलाई 1999 को उन्होंने चौथी बार मुख्यमंत्री पद संभाला। इसके बाद उन्होंने दिसंबर 1999 में विधानसभा भंग करवा दी और 2 मार्च 2000 को पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने। इस बार का कार्यकाल पूरा पांच साल तक चला। यह उनकी प्रशासनिक क्षमताओं और जनता के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण था।
राजनीतिक जीवन की चुनौतियां
ओम प्रकाश चौटाला का राजनीतिक जीवन जितना प्रेरणादायक था, उतना ही विवादों से भी भरा रहा। उनके करियर पर सबसे बड़ा दाग जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले का लगा। इस घोटाले के कारण उन्हें जेल की सजा हुई। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और 89 वर्ष की आयु तक सक्रिय राजनीति में बने रहे।
पार्टी निर्माण और विचारधारा
चौटाला ने हरियाणा की राजनीति में अपने दम पर एक मजबूत आधार तैयार किया। जब उन्होंने 1996 में हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय) बनाई और बाद में इसका नाम बदलकर इनेलो रखा, तो यह उनकी दूरदर्शिता और संगठन क्षमता का परिचायक था। उनकी पार्टी ने कई चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बरकरार रही।
चौटाला का व्यक्तित्व और कार्यशैली
ओम प्रकाश चौटाला को उनकी स्पष्टवादिता और बेबाकी के लिए जाना जाता था। वह अपने कार्यकर्ताओं के प्रति बेहद प्रतिबद्ध थे। अगर उन्होंने किसी कार्यकर्ता से कोई वादा किया, तो उसे हर हाल में पूरा किया। उनका यह स्वभाव उन्हें जनता और कार्यकर्ताओं के बीच प्रिय बनाता था।
उनकी राजनीति में जनता और किसानों का हित सर्वोपरि था। वह हमेशा गरीबों, किसानों और मजदूरों के पक्ष में खड़े रहे। उनकी विचारधारा रहबर-ए-आज़म छोटूराम और देवीलाल के सिद्धांतों पर आधारित थी। उनका निधन इन महान नेताओं की विचारधारा का एक सच्चा सिपाही खो देने जैसा है।
निधन के साथ एक युग का अंत
ओम प्रकाश चौटाला ने अपने जीवन में राजनीति के कई रंग देखे। मुख्यमंत्री पद पर कई बार काबिज होने से लेकर जेल जाने तक, उन्होंने हर चुनौती का सामना साहस और दृढ़ता के साथ किया। उनका निधन केवल उनके परिवार या पार्टी के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे हरियाणा की राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है। उनका जीवन संघर्ष और सफलता की एक मिसाल है।
उनकी विरासत न केवल हरियाणा की राजनीति में, बल्कि उनके कार्यकर्ताओं और समर्थकों के दिलों में हमेशा जीवित रहेगी। ओम प्रकाश चौटाला का जाना हरियाणा के लिए एक युग का अंत है।