फंसेंगे अनिल विज! हरियाणा स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों का कथित घोटाला: हाईकोर्ट ने जांच रिपोर्ट दायर करने का आदेश दिया
चंडीगढ़। हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में दवाइयों और उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपये के घोटाले का मामला सुर्खियों में है। इस घोटाले को लेकर 24 फरवरी 2020 को शिकायत दर्ज कराई गई थी, लेकिन सरकार ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। सितंबर 2023 में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करे।
हाईकोर्ट का निर्देश: 29 जनवरी तक रिपोर्ट दायर करें
मामले की सुनवाई के दौरान, सरकार ने कोर्ट को बताया कि जांच लगभग पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट दायर करने के लिए समय की आवश्यकता है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को 29 जनवरी तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
इससे पहले की सुनवाई में, कई तारीखें बीत जाने के बावजूद रिपोर्ट न दायर करने पर कोर्ट ने सरकार पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाते हुए इसे अंतिम अवसर दिया था। यह आदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागु और जस्टिस अनिल खेत्रपाल की पीठ ने याचिकाकर्ता जगविंद्र सिंह कुल्हरिया की ओर से वकील प्रदीप रापडिया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
दुष्यंत चौटाला ने की थी सीबीआई जांच की मांग
याचिकाकर्ता के मुताबिक, यह घोटाला 2018 में उजागर हुआ था, जब तत्कालीन सांसद दुष्यंत चौटाला ने इसे लेकर सीबीआई जांच और कैग (CAG) से ऑडिट कराने की मांग की थी।
आरटीआई में खुलासा हुआ कि तीन साल की अवधि में सरकारी अस्पतालों में करोड़ों रुपये की दवाइयां और चिकित्सा उपकरण महंगे दामों पर खरीदे गए। यह मामला उस समय सामने आया, जब हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज थे।
हिसार में धोबी और तिहाड़ जेल से जुड़े खुलासे
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि हिसार की एक दवा कंपनी, जिसका पता सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है, वास्तव में वहां एक धोबी की दुकान चल रही थी।
इसके अलावा, हिसार और फतेहाबाद के अस्पतालों में उपकरण सप्लाई करने वाली एक फर्म का मालिक नकली सिक्के बनाने के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद था।
- इस व्यक्ति ने जेल से ही टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया।
- स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों ने उसके फर्जी हस्ताक्षरों का उपयोग किया।
बिना लाइसेंस वाली कंपनियों से हुई खरीद
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इस घोटाले में शामिल कई कंपनियों के पास लाइसेंस तक नहीं था।
- कुछ कंपनियां, जो दवाइयों की सप्लाई कर रही थीं, असल में करियाना और घी का कारोबार करती थीं।
- सिविल सर्जनों ने इन कंपनियों से महंगे दामों पर दवाइयां और उपकरण खरीदे।
ईडी जांच की मांग
याचिकाकर्ता ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि दवाइयों और उपकरणों की खरीद-फरोख्त में भारी अनियमितता हुई है, और इसे घोटाले के रूप में मानते हुए विस्तृत जांच आवश्यक है।