हरियाणा को केंद्र सरकार से झटका: अलग हाईकोर्ट के प्रस्ताव को मोदी सरकार ने नहीं दी मंजूरी, पंजाब की भी असहमति
Haryana News: हरियाणा में अलग हाईकोर्ट के प्रस्ताव पर विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब सरकार ने इस प्रस्ताव पर असहमति जताई है और हरियाणा के लिए अलग हाईकोर्ट बनाने का विरोध किया है। केंद्र सरकार ने भी हरियाणा सरकार के प्रस्ताव को फिलहाल मंजूरी नहीं दी है।
केंद्र सरकार ने प्रस्ताव क्यों टाला?
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में बताया कि हरियाणा में अलग हाईकोर्ट की मांग को फिलहाल टाल दिया गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की फुल बेंच मीटिंग में इस पर सहमति नहीं बन पाई कि हरियाणा को अलग हाईकोर्ट दिया जाए।
अंबाला से कांग्रेस सांसद वरुण चौधरी ने लोकसभा में यह सवाल उठाया था कि क्या केंद्र सरकार के पास हरियाणा के लिए अलग हाईकोर्ट स्थापित करने का कोई प्रस्ताव है। इसके जवाब में कानून मंत्री ने स्पष्ट किया कि हरियाणा सरकार ने चंडीगढ़ में अलग हाईकोर्ट की स्थापना की मांग की थी, लेकिन पंजाब सरकार के जवाब और दोनों राज्यों के विवादों को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव टाल दिया गया है।
हरियाणा के अलग हाईकोर्ट का तर्क
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा के लिए अलग हाईकोर्ट की वकालत की थी। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 214 का हवाला देते हुए कहा था कि प्रत्येक राज्य का अपना अलग हाईकोर्ट होना चाहिए। खट्टर ने यह भी तर्क दिया था कि सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय जैसे छोटे राज्यों में भी अलग हाईकोर्ट हैं, तो हरियाणा को इससे वंचित क्यों रखा जाए।
पंजाब का विरोध और विवाद का कारण
पंजाब सरकार नहीं चाहती कि हरियाणा का हाईकोर्ट चंडीगढ़ में अलग से स्थापित हो। इसके पीछे मुख्य कारण चंडीगढ़ को लेकर पहले से चल रहा विवाद है। चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा दोनों की साझा राजधानी माना गया है, और इस पर अलग-अलग हाईकोर्ट बनाने से तनाव बढ़ सकता है।
वर्तमान स्थिति
केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक दोनों राज्यों के बीच सहमति नहीं बनती, हरियाणा के लिए अलग हाईकोर्ट का प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।