हरियाणा में हाड़ कंपा देने वाली ठंड: जानिए शीतलहर का कारण और बचाव के उपाय
हरियाणा और एनसीआर दिल्ली में इस समय कड़ाके की सर्दी का कहर जारी है। हिमालय से आने वाली बर्फीली हवाओं ने पूरे मैदानी इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया है। तापमान तेजी से गिर रहा है, जिससे आमजन को शीतलहर और कड़ाके की ठंड का सामना करना पड़ रहा है। आइए इस सर्दी के मौसम की स्थिति, इसके कारणों और बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा करें।
तापमान की स्थिति: ठंड ने तोड़े रिकॉर्ड
- हरियाणा के महेंद्रगढ़ में रात्रि तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।
- हिसार में रात का पारा 1.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
- पूरे हरियाणा और एनसीआर दिल्ली में रात्रि तापमान 7.0 डिग्री सेल्सियस से नीचे बना हुआ है।
- दिन का तापमान सूर्य की चमक के बावजूद 20.0 डिग्री सेल्सियस से नीचे बना हुआ है।
मौसम विभाग का अनुमान है कि दिसंबर के तीसरे और चौथे सप्ताह में ठंड और ज्यादा बढ़ेगी, और तापमान में तीन से चार डिग्री की और गिरावट हो सकती है।
शीतलहर की वजहें: जानिए सर्दी के पीछे का विज्ञान
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, शीतलहर बनने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- तापमान में गिरावट: जब न्यूनतम तापमान 4.0 डिग्री सेल्सियस या इससे कम हो जाता है।
- साफ आसमान: बादल रहित आसमान के कारण धरती से उत्सर्जित ऊष्मा वापस नहीं लौटती, जिससे तापमान तेजी से गिरता है।
- हिमालय से आने वाली हवाएं: हिमालय की बर्फीली हवाएं 8-10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से मैदानी इलाकों में ठंड बढ़ाती हैं।
- कम आर्द्रता: शुष्क हवा के कारण ठंड और भी ज्यादा महसूस होती है।
सुबह-शाम ठंड, दोपहर में धूप: लेकिन राहत नहीं
सुबह और रात में ठंड अपने चरम पर होती है, जबकि दोपहर में सूरज की रोशनी के बावजूद ठंड का प्रभाव कम नहीं हो रहा है। इस स्थिति में आमजन को सावधानी बरतनी आवश्यक है।
शीतलहर और पाले से बचने के उपाय
ठंड और शीतलहर से बचने के लिए निम्नलिखित सुझाव अपनाएं:
व्यक्तिगत सुरक्षा के उपाय
- गर्म कपड़े पहनें, जैसे ऊनी टोपी, दस्ताने, और मफलर।
- गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें और ठंडे पानी से बचें।
- चेहरे और कानों को अच्छी तरह ढककर रखें।
- सुबह और रात के समय बाहर जाने से बचें।
कृषि में फसलों को बचाने के उपाय
- फसलों की हल्की सिंचाई करें।
- फसलों को प्लास्टिक की चादर, पुआल, या फूस से ढकें।
- खेतों के चारों ओर झाड़ियों और पेड़ों की बाड़ लगाएं।
- कृषि विशेषज्ञों से परामर्श लें और उचित उपाय अपनाएं।
शीतलहर का प्रभाव: आमजन और किसान सबसे ज्यादा प्रभावित
शीतलहर का असर केवल आमजन के स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि किसानों की फसलों पर भी पड़ता है। पाला जमने के कारण सरसों, गेहूं, और अन्य रबी फसलों को नुकसान पहुंचता है। ठंड की मार से बचने के लिए व्यक्तिगत और कृषि दोनों स्तरों पर तैयार रहना जरूरी है।