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हरियाणा कांग्रेस में बिखराव जारी, पूर्व कांग्रेसी विधायक ने हुड्डा को बताया 'चला हुआ कारतूस'

Hooda


करनाल: विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में लगातार बयानबाजी का सिलसिला जारी है। यह बयानबाजी न केवल पार्टी के अंदरूनी मतभेदों को उजागर कर रही है, बल्कि कांग्रेस के नेताओं के बीच खींचतान भी साफ नजर आ रही है। एक ओर जहां कांग्रेस के कई नेता हार की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ नेताओं ने सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। इस बीच, कांग्रेस के पूर्व विधायक शमशेर सिंह गोगी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पार्टी के अन्य नेताओं पर जमकर हमला बोला है।

कांग्रेस के अंदरूनी संकट की शुरुआत

कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी संकट को लेकर हाल के दिनों में शमशेर सिंह गोगी के बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। चुनावी परिणामों के बाद जब पार्टी हार की जिम्मेदारी लेने की बजाय एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू कर देती है, तो यह पार्टी की कमजोरी को और अधिक उजागर करता है। गोगी का मानना है कि पार्टी को अब उन नेताओं से छुटकारा पाना चाहिए, जिनका प्रभाव अब खत्म हो चुका है और जिन्हें "चले हुए कारतूस" के रूप में देखा जा रहा है। उनका यह बयान सीधे तौर पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर इशारा करता है, जो पार्टी के वरिष्ठ नेता माने जाते हैं, लेकिन उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

शमशेर सिंह गोगी का बयान: कांग्रेस के भविष्य को लेकर चेतावनी

पूर्व विधायक शमशेर सिंह गोगी ने पार्टी की वर्तमान स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि कांग्रेस को अब "चले हुए कारतूसों" को पार्टी से बाहर करके नए और युवा नेताओं को मौका देना चाहिए, जो पार्टी को ज़मीनी स्तर पर पुनः सक्रिय कर सकें। गोगी का यह बयान कांग्रेस के बड़े नेताओं के लिए एक सीधी चेतावनी है कि अगर पार्टी को अपने संगठन को मजबूत करना है, तो पुराने नेताओं को हटाना होगा और नए चेहरों को आगे लाना होगा।

गोगी ने अपने बयान में यह भी कहा कि पार्टी को ऐसे नेताओं की जरूरत है, जो संगठन को गांव-गांव में फैला सकें और अपनी मेहनत से पार्टी को जनता के बीच में पुनः स्थापित कर सकें। यह स्पष्ट रूप से भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे नेताओं के खिलाफ है, जिनकी उपस्थिति पार्टी के भीतर लंबे समय से प्रभावशाली रही है, लेकिन अब उनकी राजनीतिक ताकत में गिरावट देखी जा रही है।

इंदुराज नरवाल पर गोगी का हमला

शमशेर सिंह गोगी ने अपनी ही पार्टी के विधायक इंदुराज नरवाल पर भी हमला बोला है। हाल ही में इंदुराज ने शमशेर सिंह गोगी के खिलाफ बयान दिया था, जिसमें उन्होंने गोगी को "छाझ" और "छन्नी" जैसे शब्दों से संबोधित किया। इस बयान के बाद गोगी ने इंदुराज को "मेरा छोटा भाई" कहते हुए कहा कि वह शायद किसी को खुश करने के लिए ऐसा बयान दे रहे हैं। गोगी ने यह भी कहा कि अगर इंदुराज अपनी आत्मा से पूछें तो वह खुद महसूस करेंगे कि गोगी का कोई गलत काम नहीं था, और न ही गोगी ने कभी पार्टी के खिलाफ काम किया है।

गोगी का यह बयान कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी मतभेदों और नेतृत्व को लेकर असहमति को उजागर करता है। कांग्रेस में नेताओं के बीच ऐसी सार्वजनिक बयानबाजी पार्टी की छवि को भी नुकसान पहुंचा रही है और यह दर्शाता है कि पार्टी में एकजुटता की कमी है।

कांग्रेस में नेतृत्व का संकट

कांग्रेस पार्टी के लिए यह समय सबसे चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि एक ओर जहां पार्टी लगातार अपनी चुनावी हार को लेकर चिंतित है, वहीं दूसरी ओर उसके नेताओं के बीच आपसी मतभेदों ने पार्टी की छवि को और अधिक धूमिल किया है। शमशेर सिंह गोगी का कहना है कि उदयभान और दीपक बावरिया जैसे नेताओं के अलग-अलग बयान यह दिखाते हैं कि पार्टी के नेतृत्व में आपसी तालमेल की भारी कमी है।

गोगी का यह भी कहना है कि पार्टी को अब अपने नेतृत्व को लेकर गंभीरता से विचार करना होगा और केवल बड़े नेताओं के नामों से काम नहीं चलेगा। यदि पार्टी को चुनावों में जीत हासिल करनी है, तो उसे अपने नेतृत्व को मजबूत करना होगा और ऐसे नए चेहरों को पार्टी में शामिल करना होगा, जो जनता के बीच विश्वास स्थापित कर सकें।

कांग्रेस के भविष्य का सवाल

वर्तमान स्थिति में, कांग्रेस पार्टी को पुनः संजीवनी की जरूरत है। पार्टी के भीतर चल रही बयानबाजी और नेतृत्व के बीच असहमति के बावजूद, यह सवाल उठता है कि कांग्रेस को अपनी राजनीतिक ताकत को फिर से कैसे बहाल कर सकती है। क्या कांग्रेस इस संकट से उबर पाएगी और अपने संगठन को मजबूत कर सकेगी, या यह आपसी मतभेद पार्टी की हार की कहानी को और भी गहरा कर देंगे?

आखिरकार, कांग्रेस के सामने यह चुनौती है कि वह अपनी नीतियों और नेतृत्व के बदलाव के जरिए जनता का विश्वास वापस प्राप्त करे। यदि कांग्रेस को 2024 के चुनावों में सफलता प्राप्त करनी है, तो उसे अपनी रणनीतियों और नेताओं के चयन में नए दृष्टिकोण अपनाने होंगे।

निष्कर्ष

कांग्रेस की वर्तमान स्थिति और अंदरूनी मतभेद पार्टी के भविष्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। शमशेर सिंह गोगी के बयान और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे कांग्रेस के नेताओं के लिए एक चेतावनी हैं। पार्टी को अपने संगठन को मजबूत करने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे, और नेताओं को अपने व्यक्तिगत मतभेदों को पीछे छोड़कर एकजुटता के साथ पार्टी की दिशा को तय करना होगा। तभी कांग्रेस पार्टी अपनी खोई हुई ताकत को पुनः प्राप्त कर सकती है और चुनावी मैदान में सफलता हासिल कर सकती है।

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