Book Ad



हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर से 101 किसान करेंगे दिल्ली कूच, हरियाणा सरकार नहीं दे रही मंज़ूरी

Farmer Protest


शंभू बॉर्डर:  हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर पर आज माहौल गर्म है क्योंकि किसानों का जत्था दोपहर 1 बजे दिल्ली की ओर रवाना होने की तैयारी में है। किसान आंदोलन के इस नए चरण ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है, और सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद कर दिया गया है।


किसानों के दिल्ली मार्च की योजना

किसान नेता सरवन पंधेर के अनुसार, 101 किसानों का जत्था दिल्ली की ओर कूच करेगा। ये किसान अभी शंभू बॉर्डर के पास पंडाल में ठहरे हुए हैं।

  • नमक की व्यवस्था:
    किसानों को आंसू गैस के हमलों से बचाने के लिए नमक दिया जा रहा है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो आंसू गैस के प्रभाव से होने वाली सांस की समस्या में नमक खाने से राहत मिलती है।
  • एंबुलेंस की तैनाती:
    पंजाब सरकार ने किसानों की सुरक्षा के लिए बॉर्डर पर एंबुलेंस की सुविधा दी है ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध हो सके।


प्रशासन का कड़ा रुख

हरियाणा सरकार ने साफ कर दिया है कि बिना अनुमति के किसानों को दिल्ली जाने नहीं दिया जाएगा। अभी तक किसानों को दिल्ली मार्च के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है।

  • सुरक्षा व्यवस्था:
    हरियाणा और पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर पर सख्त सुरक्षा प्रबंध किए हैं। बॉर्डर पर नए बैरिकेड्स, जालियां, सीसीटीवी कैमरे और लाउडस्पीकर लगाए गए हैं।
  • धारा 144 का संशोधन:
    अंबाला जिले और खनौरी बॉर्डर पर पहले लागू की गई धारा 144 को अब धारा 163 के तहत संशोधित किया गया है। इसका मतलब है कि पांच या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर कार्रवाई की जाएगी।


किसान आंदोलन: संघर्ष और चुनौतियां

किसानों की मांगें लगातार केंद्र सरकार के लिए चुनौती बनी हुई हैं। इस विरोध प्रदर्शन के पीछे मुख्य उद्देश्य एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी और कृषि कानूनों को पूरी तरह समाप्त करना है।

  • पुलिस और किसानों के बीच तनाव:
    शंभू बॉर्डर पर पुलिस और किसानों के बीच तनाव बना हुआ है। पुलिस का कहना है कि वे कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वहीं किसान अपने अधिकारों के लिए दिल्ली कूच करने पर अड़े हुए हैं।


क्या होगा आगे?

इस स्थिति का नतीजा आने वाले घंटों में देखने को मिलेगा। हालांकि, प्रशासन की सख्ती और किसानों के दृढ़ संकल्प के बीच टकराव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url