हरियाणा चुनाव में गड़बड़ी रिपोर्ट पर चुनाव आयोग ने वोटर टर्नआउट डेटा को लेकर दी सफाई, रिपोर्ट में दावा 30 सीटों पर हुआ खेल!
नई दिल्ली: भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने हाल ही में आम और विधानसभा चुनावों के दौरान वोटर टर्नआउट डेटा में असमानता को लेकर उठाए गए सवालों पर स्पष्टीकरण दिया है। हरियाणा विधानसभा चुनावों में वोटिंग प्रतिशत बढ़ने पर कांग्रेस द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में आयोग ने कहा है कि वोटर टर्नआउट (VTR) ऐप केवल मतदान के दिन नियमित अंतराल पर वोटिंग ट्रेंड्स को अपडेट करने के लिए एक सहायक उपकरण है।
आयोग ने स्पष्ट किया कि फॉर्म 17सी ही किसी भी मतदान केंद्र पर डाले गए कुल वोटों का आधिकारिक और अपरिवर्तनीय स्रोत है, जिसे मतदान केंद्र बंद होने से पहले उम्मीदवारों को उपलब्ध कराया जाता है।
मैनिपुलेशन असंभव: आयोग
कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने बताया कि शाम 5 बजे से रात 11:45 बजे के बीच वोटर टर्नआउट में वृद्धि होना सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है। यह वोटर टर्नआउट के संकलन (aggregation) के दौरान होता है। आयोग ने कहा कि फॉर्म 17सी के जरिए वोटर टर्नआउट का विवरण उम्मीदवारों के अधिकृत एजेंट्स को मतदान बंद होने के समय ही उपलब्ध कराया जाता है, जिससे वोटिंग डेटा में छेड़छाड़ असंभव हो जाती है।
आयोग ने अपने प्रेस बयान में कहा, "VTR ऐप पर वोटर टर्नआउट डेटा केवल ईवीएम पर डाले गए वोटों के आधार पर दिखाया जाता है, क्योंकि पोस्टल बैलट गिनती शुरू होने तक प्राप्त होते रहते हैं।"
शाम 5 बजे के बाद डेटा में बदलाव क्यों?
चुनाव आयोग ने बताया कि शाम 5 बजे से 5:30 बजे के बीच VTR ऐप पर दर्ज किया गया डेटा अंतरिम (approximate) होता है। यह डेटा उस समय तक मतदान केंद्रों पर मतदान की स्थिति का अनुमान दर्शाता है। यदि शाम के समय बड़ी संख्या में मतदाता मतदान करने आते हैं, तो यह अंतरिम डेटा निश्चित रूप से बढ़ता है।
आयोग ने बताया कि जो मतदाता शाम 5 बजे या मतदान समाप्ति के तय समय तक कतार में होते हैं, उन्हें मतदान करने की अनुमति दी जाती है। ऐसे मतों को VTR डेटा में तभी शामिल किया जाता है, जब मतदान दल मशीनों और अन्य चुनाव दस्तावेजों को रिसीविंग सेंटर में जमा कराते हैं।
तकनीकी और मानव त्रुटियों की संभावना
चुनाव आयोग ने यह भी स्वीकार किया कि VTR ऐप पर गैर-आधिकारिक डेटा रिपोर्टिंग में त्रुटियां संभव हैं। इन त्रुटियों का कारण जटिल प्रक्रियाएं, विभिन्न विभागों से आए कर्मचारियों की दक्षता और चुनावी ड्यूटी के दौरान अत्यधिक दबाव हो सकता है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि इस डेटा की सटीकता के लिए आयोग पर कोई वैधानिक जिम्मेदारी नहीं है और इसका उपयोग करने वाले उपयोगकर्ता पर ही इसका दायित्व होता है।
मतदाता सूची प्रक्रिया पर आयोग का रुख
मतदाता सूची तैयार करने में किसी भी गड़बड़ी के आरोपों पर आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया पारदर्शी और सहभागी थी, जिसमें सभी राजनीतिक दलों और जनता की भागीदारी सुनिश्चित की गई। मतदाता सूची के अद्यतन के लिए एक ठोस और कानूनी ढांचा है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी मतदाता को जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया नियमों के तहत हो।
चुनाव आयोग ने जोर देकर कहा कि राजनीतिक दल, जो इस प्रक्रिया के प्रमुख भागीदार हैं, चुनाव की पूरी प्रक्रिया में शामिल रहते हैं। मतदाता सूची और फॉर्म 20 से संबंधित सभी डेटा CEO की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं और इन्हें डाउनलोड किया जा सकता है।
आयोग का निष्कर्ष
चुनाव आयोग ने दोहराया कि चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं। मतदाता टर्नआउट डेटा और मतदाता सूची को लेकर उठाए गए सभी सवालों के संतोषजनक उत्तर आयोग द्वारा दिए गए हैं।
यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि चुनावी प्रक्रिया में किसी प्रकार की गड़बड़ी की कोई संभावना न रहे और सभी राजनीतिक दलों और जनता को भरोसा दिलाया जाए।