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23 दिसंबर 1995: डबवाली की भयावह अग्निकांड त्रासदी, आज भी ताजा हैं जख्म



डबवाली: 23 दिसंबर 1995 को हरियाणा के डबवाली के राजीव मैरिज पैलेस में एक भीषण अग्निकांड ने खुशी के माहौल को मातम में बदल दिया। डीएवी पब्लिक स्कूल के वार्षिक समारोह के दौरान लगी आग ने 442 जिंदगियों को लील लिया और सैकड़ों लोगों को हमेशा के लिए अपंग बना दिया।

त्रासदी का भयावह मंजर

इस हादसे में जान गंवाने वालों में 222 बच्चे, 150 महिलाएं, 44 पुरुष और 26 नवजात शामिल थे। यह घटना न केवल डबवाली बल्कि पूरे देश को झकझोर देने वाली थी। आग की चपेट में आने से घायलों का इलाज करने के लिए अस्पतालों में पर्याप्त बेड और मेडिकल स्टाफ तक नहीं थे। स्थिति इतनी गंभीर थी कि अंतिम संस्कार और दफनाने के लिए जगह की कमी हो गई। यह हादसा आग से बचाव के नियमों की अनदेखी के घातक परिणामों को उजागर करता है।

पीड़ितों का संघर्ष और न्याय की लड़ाई

इस भयावह हादसे के बाद प्रभावित परिवारों को न्याय और मुआवजे के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। कई पीड़ित, जो शारीरिक और मानसिक रूप से घायल हुए, को बहुत कम मदद मिल सकी। इस त्रासदी के पीड़ितों की मदद के लिए "डबवाली फायर विक्टिम्स मेमोरियल ट्रस्ट" जैसे संगठन आज भी काम कर रहे हैं।

ट्रस्ट के अध्यक्ष रमेश कुमार ने 29वीं बरसी के मौके पर सरकार के सामने कुछ मांगें रखीं। उन्होंने 23 दिसंबर को पूरे देश में "फायर सेफ्टी डे" के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य लोगों में अग्नि सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना है।

फायर सेफ्टी के लिए केंद्र और पुरस्कार की मांग

ट्रस्ट ने सरकार से मांग की है कि त्रासदी स्थल पर एक शैक्षणिक केंद्र स्थापित किया जाए, जहां बच्चों और युवाओं को आग से बचाव, प्राथमिक उपचार और आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जा सके। इस केंद्र को समाज में परिवर्तन लाने वाला एक प्रेरणास्त्रोत बनाने की अपील की गई है।

ट्रस्ट ने 23 दिसंबर को राज्य स्तरीय "सेफ्टी अवॉर्ड" देने की भी मांग की है। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों और संगठनों को दिया जाए, जो अग्नि सुरक्षा में योगदान देते हैं। यह कदम जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देगा और राज्य में सक्रिय सुरक्षा उपायों को प्रोत्साहित करेगा।

पीड़ितों की याद में कार्यक्रम

डबवाली फायर विक्टिम्स मेमोरियल ट्रस्ट के कार्यकारी सदस्य इकबाल सिंह शांत ने बताया कि इस त्रासदी के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इनमें विभिन्न धर्मों की प्रार्थना सभाएं और स्थानीय एनजीओ द्वारा रक्तदान शिविर शामिल हैं।

शाम को आर्य समाज द्वारा वेदिक हवन और सत्संग का आयोजन किया जाएगा, जहां दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

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