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हरियाणा में पीने के पानी की गुणवत्ता में भारी गिरावट, उत्तरी भारत में सबसे खराब रिकॉर्ड, इन जिलों में सबसे खराब हालत

Haryana Water Testing


नया हरियाणा:  हरियाणा में पीने के पानी की गुणवत्ता लगातार चिंता का विषय बनी हुई है। 2023-24 के दौरान किए गए पानी के परीक्षण में 6,782 सैंपल गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे। यह कुल 69,702 सैंपल का 9.7 प्रतिशत है, जो उत्तरी भारत में सबसे अधिक है। इस चिंताजनक आंकड़े का खुलासा 16 दिसंबर को राज्यसभा में जल शक्ति मंत्री वी. सोमन्ना ने सांसद डॉ. फौजिया खान के एक अनौपचारिक प्रश्न के जवाब में किया।


हरियाणा में पानी की खराब गुणवत्ता

खराब पानी के 6,782 सैंपल में से 1,275 सैंपल में रासायनिक संदूषण और 5,507 सैंपल में जीवाणु संदूषण पाया गया। इनमें से 188 मामलों में रासायनिक और 584 मामलों में जीवाणु संदूषण के लिए कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए।

  • भिवानी और चरखी दादरी में सबसे अधिक सैंपल फेल हुए, जहां क्रमशः 894 और 689 सैंपल गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे।

पड़ोसी राज्यों की तुलना में हरियाणा पीछे

हरियाणा के विपरीत, पड़ोसी राज्यों में पीने का पानी अपेक्षाकृत साफ है:

  • हिमाचल प्रदेश: 2.19 लाख सैंपल में से केवल 122 (0.1%) फेल हुए।
  • पंजाब: 33,043 सैंपल में से 610 (1.8%) असफल रहे।
  • जम्मू-कश्मीर: 2.52 लाख सैंपल में से 386 (0.2%) खराब पाए गए।
  • उत्तराखंड: 1.20 लाख सैंपल में से सिर्फ 105 (0.1%) फेल हुए।

पिछले वर्षों का रिकॉर्ड भी चिंताजनक

हरियाणा में पीने के पानी की गुणवत्ता खराब होने का यह पहला मामला नहीं है:

  • 2022-23 में, 82,725 सैंपल में से 16,124 (19.5%) फेल हुए।
  • 2021-22 में, 96,910 सैंपल में से 6,882 (7.1%) फेल हुए।
  • 2016 से 2021 के बीच 2.64 लाख सैंपल जांचे गए, जिनमें से 18,104 (6.86%) सैंपल पीने के लिए अनुपयुक्त पाए गए।

केंद्र सरकार की योजना और हरियाणा की स्थिति

केंद्र सरकार ने 2019 में जल जीवन मिशन (JJM) शुरू किया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ और सुरक्षित पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS:10500) के मानकों को अपनाया गया है।
हालांकि, पीने का पानी राज्यों का विषय होने के कारण इसकी योजना, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर है।


सीएजी रिपोर्ट में खुलासे

2023 में हरियाणा विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि राज्य के पानी में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया, रासायनिक और भौतिक मानकों की अत्यधिक मात्रा पाई गई। यहां तक कि कुछ जगहों पर पानी में मेंढक और शैवाल भी पाए गए।
सीएजी जांच (अगस्त 2021 से मई 2022) में पाया गया कि संदूषित पानी के मामलों में कोई रिकॉर्डेड सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई।



हरियाणा में पीने के पानी की गुणवत्ता में गिरावट राज्य सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती है। नियमित सुधारात्मक कदम और कठोर निगरानी प्रणाली की तत्काल आवश्यकता है। राज्य सरकार को जल जीवन मिशन का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए ताकि हर नागरिक को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल मिल सके।

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