सिरसा के जांडवाला विश्नोइयां गांव में काले हिरण के शिकार की घटना से आक्रोश, बिश्नोई समाज ने कड़ी कार्रवाई की मांग की
सिरसा। हरियाणा के सिरसा जिले के जांडवाला विश्नोइयां गांव में काले हिरण के शिकार की घटना ने बिश्नोई समाज समेत स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। यह इस महीने की तीसरी घटना है, जिसने वन्यजीव संरक्षण पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिश्नोई समाज के सदस्यों ने कड़े कदम उठाने की मांग करते हुए हरियाणा के लोक निर्माण मंत्री रणबीर गंगवा से मुलाकात की।
काला हिरण भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में संरक्षित प्रजाति है।
घटना का विवरण
घटना 23 दिसंबर को देसकमल नंबरदार के खेतों में हुई। यहां एक वयस्क नर काले हिरण का शव पाया गया, जिसकी उम्र करीब पांच साल थी। शव पर कटने के निशान और शिकार के स्पष्ट सबूत मिले। सबसे पहले जीव रक्षा टीम के सदस्य चंद्र मोहन बिश्नोई ने शव देखा और अधिकारियों को सूचना दी।
मौके पर पुलिस और वन्यजीव विभाग की टीम पहुंची और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हुआ शिकार का खुलासा
डॉ. अनिल बेनीवाल ने काले हिरण का पोस्टमॉर्टम किया। उन्होंने शव पर गहरे घाव और शिकार की पुष्टि की। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि इलाके में नीलगाय और अन्य जानवरों का भी शिकार किया गया हो सकता है। शिकार के दौरान काटे गए मांस के टुकड़ों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है, ताकि पिछले मामलों से संभावित संबंधों का पता लगाया जा सके।
संरक्षणवादियों की चिंता
काले हिरण की घटती संख्या को लेकर स्थानीय संरक्षणवादियों में गहरी चिंता है। सिरसा जिले के अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के अध्यक्ष मुकेश बिश्नोई ने बताया कि डबवाली क्षेत्र के लगभग 11 गांव, जो कभी अभयारण्य का हिस्सा थे, 2017 में उनकी अधिसूचना रद्द कर दी गई थी। इसके बाद से जांडवाला विश्नोइयां, गंगा और भौखेड़ा जैसे गांवों में काले हिरण और चिंकारा की संख्या में भारी गिरावट देखी गई है।
राजस्थान से आए शिकारियों पर संदेह
पुलिस का मानना है कि शिकारी राजस्थान से आ सकते हैं, क्योंकि सर्दियों के दौरान शिकार की घटनाओं में वृद्धि होती है। एएसआई रोहताश के नेतृत्व में एक पुलिस टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
बिश्नोई समाज की कड़ी मांग
बिश्नोई समाज और अन्य स्थानीय निवासियों ने वन्यजीव संरक्षण कानूनों को सख्ती से लागू करने और ऐसे मामलों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की मांग की है।
कानूनी कार्रवाई
घटना को लेकर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9, 39, 49, 51 और 54 के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच जारी है और पुलिस जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार करने की दिशा में काम कर रही है।
इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण के महत्व और शिकारी गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता को उजागर किया है। बिश्नोई समाज, जो पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है, ने इस मामले को लेकर एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। अब सरकार और संबंधित अधिकारियों पर यह जिम्मेदारी है कि वे इस मामले में सख्त कार्रवाई कर काले हिरण जैसी दुर्लभ प्रजातियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।