हरियाणा में खरीफ फसल 2023 का बकाया बीमा क्लेम अभी तक नहीं पहुंचा किसानों के खाते में, जानिए क्या है वजह?
भिवानी: खरीफ फसल 2023 के बकाया बीमा क्लेम में अनियमितताओं को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा का एक प्रतिनिधिमंडल जिला उपायुक्त महाबीर कोशिक और डिप्टी डाइरेक्टर एग्रीकल्चर विनोद फौगाट से मिला। इस मुलाकात में किसान नेताओं ने किसानों को बीमा क्लेम से वंचित करने में हुई अनियमितताओं और लापरवाही के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
बैंक की लापरवाही से किसानों को नुकसान
किसान सभा के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि किसानों ने खरीफ फसल के लिए बीमा प्रीमियम समय पर बैंक के माध्यम से जमा किया था। लेकिन बैंक की लापरवाही के कारण किसानों को यूनिक आईडी जारी नहीं की गई। इसके चलते 42 गांवों के किसानों का बीमा प्रीमियम बीमा कंपनी को नहीं मिल पाया और वे बीमा क्लेम से वंचित रह गए।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल जिला प्रधान रामफल देशवाल, उपप्रधान ओमप्रकाश, जिला सचिव जगरोशन, भिवानी ब्लॉक सचिव प्रताप सिंह सिंहमार और महावीर फौजी ने बताया कि यह मामला किसानों के हितों के खिलाफ है और इसमें जल्द से जल्द समाधान की आवश्यकता है।
बीमा क्लेम में अनियमितताओं का आरोप
किसान सभा ने बीमा कंपनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी ने भिवानी जिले के लिए 300 करोड़ रुपये और दादरी जिले के लिए 150 करोड़ रुपये के बीमा क्लेम का निर्धारण किया था। लेकिन सैटेलाइट इमेजिंग के आधार पर बीमा क्लेम में 350 करोड़ से 450 करोड़ रुपये तक की कटौती कर दी गई। इसके चलते किसानों को मात्र 89 करोड़ रुपये का क्लेम वितरित किया गया।
किसान नेताओं का कहना है कि यह किसानों के साथ सरासर अन्याय है और इसमें बड़े पैमाने पर घोटाला होने की आशंका है।
मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से जांच की मांग
किसान सभा ने इस मामले को गंभीर मानते हुए मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक किसानों को उनका पूरा बीमा क्लेम नहीं मिलता, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने प्रशासन और सरकार से इस मुद्दे को प्राथमिकता से हल करने की अपील की है ताकि किसानों को उनका हक मिल सके।
किसान सभा की चेतावनी
अखिल भारतीय किसान सभा ने चेतावनी दी है कि यदि किसानों के बकाया बीमा क्लेम का जल्द से जल्द निपटारा नहीं किया गया, तो किसान आंदोलन करने को मजबूर होंगे। किसान सभा ने कहा कि सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे किसानों की समस्याओं का समाधान कर राहत प्रदान करें।
"किसानों के हितों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।"