चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में बढ़ते नशे के कारोबार को लेकर भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हुड्डा ने कहा कि हरियाणा, जो कभी दूध-दही और पहलवानों की धरती के रूप में जाना जाता था, अब ड्रग्स, अफीम, चिट्टा, हेरोइन, ब्राउन शुगर और गांजे का अड्डा बन चुका है।
हरियाणा में नशे का बढ़ता कारोबार
हुड्डा ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की दिसंबर 2023 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि प्रदेश में नशा सेवन और तस्करी के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट के आंकड़े:
- 16.51% लोग अफीम और हेरोइन का सेवन करते हैं।
- 11% लोग गांजा, भांग और चरस जैसे नशे का इस्तेमाल कर रहे हैं।
- नशा करने वालों में बड़ी संख्या टीनेजर (किशोरों) की है।
तस्करी में टीनेजरों का इस्तेमाल:
हुड्डा ने कहा कि तस्कर अब किशोरों को नशे की तस्करी में शामिल कर रहे हैं, जिससे नई पीढ़ी बर्बादी की कगार पर पहुंच रही है।
सरकारी प्रयास नाकाफी
हुड्डा ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में करीब 15 लाख लोग सरकारी अस्पतालों और नशा मुक्ति केंद्रों तक पहुंचे हैं। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है, क्योंकि कई लोग शर्म या सामाजिक दबाव के कारण इलाज के लिए आगे नहीं आते।
सीमावर्ती जिले सबसे अधिक प्रभावित
हुड्डा ने कहा कि नशे से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले वे हैं जो पंजाब और राजस्थान से लगते हैं। सीमावर्ती इलाकों में तस्करी और नशा सेवन के मामले तेजी से बढ़े हैं।
नशे का जाल:
- सीमावर्ती जिलों में नशे की आपूर्ति में तेजी।
- स्थानीय युवाओं का नशे में फंसना।
गांव-गांव में फैल रहा नेटवर्क:
हुड्डा ने कहा कि अब नशे का जाल गांव-गांव तक फैल गया है, जो प्रदेश की संस्कृति और परंपरा के लिए गंभीर खतरा है।
हुड्डा का सरकार पर हमला
हुड्डा ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि प्रदेश में नशे की रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां केवल कागजों तक सीमित हैं और जमीनी स्तर पर स्थिति लगातार बिगड़ रही है।
प्रशासन की नाकामी:
- तस्करों पर कड़ी कार्रवाई का अभाव।
- सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कमजोर।
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी:
हुड्डा ने कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई में सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति कमजोर है।
नशा रोकने के लिए समाधान सुझाए
हुड्डा ने कहा कि अगर हरियाणा को नशे के जाल से बचाना है, तो सरकार को तुरंत सख्त कदम उठाने होंगे। उन्होंने निम्नलिखित सुझाव दिए:
तस्करों पर सख्त कार्रवाई:
नशा तस्करी के मामलों में कठोर सजा का प्रावधान किया जाए।सीमा पर कड़ी निगरानी:
पंजाब और राजस्थान से सटी सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ाई जाए और नशे की तस्करी पर रोक लगाई जाए।युवाओं के लिए जागरूकता अभियान:
- स्कूल और कॉलेज स्तर पर नशे के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं।
- खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर युवाओं को सही दिशा दी जाए।
नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए:
- अधिक से अधिक नशा मुक्ति केंद्र खोले जाएं।
- इन केंद्रों को प्रशिक्षित स्टाफ और आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाए।
भूपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा में नशे के बढ़ते कारोबार को प्रदेश की संस्कृति और युवाओं के भविष्य के लिए घातक बताया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो हरियाणा नशे की चपेट में पूरी तरह बर्बाद हो सकता है। नशे के खिलाफ सख्त कार्रवाई और जागरूकता ही प्रदेश को इस खतरे से बचा सकती है।
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