हरियाणा में AAP का बड़ा ऐलान: नगर निगम चुनाव अकेले लड़ेगी, कांग्रेस को झटका
चंडीगढ़: हरियाणा में आम आदमी पार्टी (AAP) ने आगामी नगर निगम चुनावों को लेकर बड़ा ऐलान किया है। दिल्ली चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका देते हुए AAP ने घोषणा की है कि वह जनवरी में शुरू होने वाले नगर निगम चुनावों में अकेले मैदान में उतरेगी। प्रदेश AAP अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने यह स्पष्ट किया कि पार्टी अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेगी और जल्द ही उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी।
AAP का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला
हरियाणा AAP अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा कि पार्टी अब किसी गठबंधन की बजाय स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा, "हमारे उम्मीदवार पार्टी के चुनाव चिन्ह पर ही चुनाव लड़ेंगे, और उम्मीदवारों के नामों की घोषणा जल्द कर दी जाएगी।" इस कदम ने कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है, जो हरियाणा में पहले से ही अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए संघर्ष कर रही है।
गठबंधन न होने का कांग्रेस पर आरोप
गुप्ता ने अपने बयान में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर हरियाणा में कांग्रेस ने AAP के साथ गठबंधन किया होता, तो विधानसभा चुनावों के नतीजे पूरी तरह अलग होते। उन्होंने कहा, "कांग्रेस हाईकमान की मंशा AAP के साथ गठबंधन करने की थी, लेकिन हरियाणा के नेताओं ने ऐसा नहीं होने दिया, और इसका असर नतीजों पर पड़ा।"
लोकसभा में साथ, विधानसभा में अलग
हरियाणा में 2024 के लोकसभा चुनाव में AAP और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने राज्य की 10 लोकसभा सीटों में से कुरुक्षेत्र सीट AAP को दी थी। इस सीट से AAP के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। हालांकि, इस गठबंधन के बावजूद AAP ने 9 विधानसभा क्षेत्रों में चार सीटें जीतीं।
कुछ महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में स्थिति बदल गई। कांग्रेस और AAP के बीच सीटों को लेकर सहमति न बन पाने की वजह से दोनों पार्टियां अलग हो गईं। इस अलगाव के चलते दोनों पार्टियों को नुकसान हुआ, और यह स्पष्ट हो गया कि हरियाणा की राजनीति में एक मजबूत गठबंधन के बिना प्रभावी परिणाम हासिल करना मुश्किल है।
नगर निगम चुनावों पर नजर
AAP के इस फैसले ने हरियाणा में राजनीतिक समीकरणों को और जटिल बना दिया है। नगर निगम चुनाव, जो जनवरी में शुरू होंगे, राज्य की राजनीति का नया स्वरूप तय करेंगे। अकेले चुनाव लड़ने का AAP का यह फैसला न केवल पार्टी की स्वतंत्र राजनीतिक रणनीति को दर्शाता है, बल्कि यह कांग्रेस के लिए भी एक नई चुनौती बनकर उभरा है।
आने वाले समय में देखना होगा कि यह कदम हरियाणा की स्थानीय राजनीति पर क्या प्रभाव डालता है और AAP इस चुनाव में अपने प्रदर्शन से कितना बदलाव ला पाती है।