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राखीगढ़ी में खुदाई से मिले जल प्रबंधन के 5000 साल पहले के प्राचीन सबूत, टीले नंबर एक और दो के बीच जलाशय के अवशेष पाए गए

Rakhigarhi


नया हरियाणा: हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी गांव में चल रही हड़प्पाकालीन स्थल की खुदाई से जल प्रबंधन के उन्नत प्रमाण मिले हैं। यहां टीले नंबर एक और दो के बीच जलाशय के अवशेष पाए गए हैं, जो हड़प्पा सभ्यता के जल संरक्षण तकनीकों को दर्शाते हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संयुक्त निदेशक डॉ. संजय मंजुल ने बताया, “यह जलाशय लगभग 3.5 से 4 फीट गहरा प्रतीत होता है। यह इस बात का प्रमाण है कि यहां लगभग 5000 साल पहले जल प्रबंधन की उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाता था।”

विशिष्ट क्षेत्र के प्रमाण

डॉ. मंजुल ने टीले नंबर एक, दो और तीन को "विशिष्ट क्षेत्र" (एलीट जोन) बताया। उनका कहना है कि ये स्थल हड़प्पा सभ्यता के उच्च वर्ग के प्रमुख आवासीय क्षेत्र थे। उन्होंने कहा, “यहां बड़े-बड़े निर्माण मिले हैं, जो इस स्थान को उच्च वर्ग के लिए एक महत्वपूर्ण निवास क्षेत्र के रूप में स्थापित करते हैं।”

द्रिषद्वती नदी के अवशेष

उन्होंने खुलासा किया कि स्थल से लगभग 300 मीटर दूर एक सूखी हुई नदी का तल पाया गया है, जिसे द्रिषद्वती नदी (चौतंग नदी) माना जा रहा है। यह नदी, जो अब विलुप्त हो चुकी है, प्राचीन समय में इस क्षेत्र के लिए जीवनरेखा थी। पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार, हड़प्पा के लोग इस नदी का जल संग्रहण करते थे, जो उनके शहर की जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत था।

प्राकृतिक जल स्रोतों पर निर्भरता

इस क्षेत्र में की गई कोड ड्रिलिंग से भी इस नदी के तल की पुष्टि हुई है। ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा की गई जांच में टीले नंबर सात के पास भी इस नदी के अवशेष मिले हैं, जो इस बात को और पुष्ट करते हैं कि इस क्षेत्र की जल आपूर्ति मुख्य रूप से इन नदियों पर आधारित थी।

जल संकट और सभ्यता का पतन

पुरातत्वविदों का मानना है कि द्रिषद्वती नदी लगभग 5000 साल पहले सूखने लगी थी, जिससे राखीगढ़ी जैसे समृद्ध शहरों में जल संकट उत्पन्न हुआ। द्रिषद्वती और सरस्वती नदियों के धीरे-धीरे गायब हो जाने को हड़प्पा सभ्यता के पतन का एक मुख्य कारण माना जाता है।

जल संरक्षण की उन्नत तकनीकें

डॉ. मंजुल ने बताया कि यह क्षेत्र अपने समय का सबसे बड़ा जल संग्रहण केंद्र हो सकता है। खुदाई से जलाशयों और नहरों के प्रमाण मिले हैं, जो हड़प्पा सभ्यता के जटिल जल प्रबंधन प्रणाली का हिस्सा थे। इन तकनीकों से पता चलता है कि इस प्राचीन सभ्यता ने जल संरक्षण और भंडारण में कितनी कुशलता प्राप्त की थी।

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