Karnal Lok Sabha Constituency History: करनाल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हरियाणा की 10 लोकसभा सीट में से एक है। दंतकथा के अनुसार करनाल शहर को महाभारत के राजा कर्ण ने बसाया था। राजा कर्ण के नाम पर ही शहर का नाम करनाल पड़ा है।
यहां 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विरेंद्र कुमार सत्यवादी ने जीत हासिल की थी। घरौंड़ा, निलोखेड़ी, असंध, इंदरी और तरावड़ी इसके मुख्य दर्शनीय स्थल हैं। दिल्ली से इसकी दूरी 117 किलोमीटर है।
महाभारत के पात्र कर्ण की नगरी करनाल लोकसभा सीट दिग्गजों की हार के लिए भी जानी जाती है। यही वह सीट है जहां पर पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल को हार का सामना करना पड़ा था। इस हार के बाद से ही उनकी राजनीति की पीएचडी खत्म हो गई थी। बीजेपी की दिग्गज नेता और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज करनाल से एक अदद जीत के लिए तरस गई थीं।
करनाल सीट को ब्राह्मण सीट के तौर पर पहचाना जाता है लेकिन 2024 चुनाव में यह मिथ टूटा। यहां से बीजेपी प्रत्याशी अश्विनी कुमार चोपड़ा को जीत मिली थी। साल 2014 में मोदी लहर में करनाल से बीजेपी के अश्विनी चोपड़ा ने यहां से दो बार लगातार कांग्रेस से सांसद रहे डॉ. अरविंद शर्मा को 3,60,147 वोटों से हराया था। बीजेपी से अश्विनी को कुल 5,94,817 वोट मिले, जबकि अरविंद शर्मा को 2,34,670 वोट पड़े थे।
2019 से यहां बीजेपी के संजय भाटिया सांसद है। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज कुलदीप शर्मा को हराया। संजय भाटिया ने 6 लाख 56 हजार से ज्यादा वोटों से हराया।
कुल 9 विधानसभा सीटें
करनाल लोकसभा क्षेत्र में कुल 9 विधानसभा सीटें हैं। करनाल और पानीपत जिले के मतदाता करनाल लोकसभा सीट के तहत ही आते हैं। नीलोखेड़ी, इंद्री, करनाल, घरौंडा, असंध, पानीपत ग्रामीण, पानीपत सिटी, इसराना और समालखा विधानसभा इस लोकसभा में शामिल हैं। 1951 से अब तक कांग्रेस नौ बार यहां से चुनाव जीती है। 4 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है। एक बार भारतीय जनसंघ ने जीत दर्ज की है। करनाल सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा है।
करनाल का क्या है इतिहास?
करनाल लोकसभा सीट के तहत आने वाले करनाल और पानीपत देश के इतिहास में अहम स्थान रखते हैं। पानीपत की धरती पर हुए तीन युद्ध भारतीय इतिहास में अमिट हैं। मोहम्मद गौरी और पृथ्वी राज चौहान के बीच में तरावड़ी में लड़ाई हुई थी। तरावड़ी में आज भी पृथ्वी राज चौहान का किला है। करनाल जिले के कई गांव धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की 48 कोस की जमीन की सीमा में आते हैं। करनाल में कई बड़ी फैक्ट्रियां हैं, जिसमें कृषि उपकरण, राइस शैलर, वनस्पति, तेल और दवाइयां तैयार की जाती हैं। पानीपत का हैंडलूम उद्योग विश्व स्तर पर अपनी पहचान रखता है। पर्यटक के लिहाज से कर्ण लेक, कलंदर शाह, छावनी चर्च और सीता माई मंदिर खास हैं।
ये दिग्गज हारे
-भजनलाल को अपने जीवन में पहली बार 1999 में हार का यहीं पर मुंह देखना पड़ा।
-बीजेपी की सुषमा स्वराज 3 बार 1980, 1984 और 1989 में हारीं।
-चार दफा करनाल से जीत दर्ज करने वाले पंडित चिरंजी लाल अंतिम चुनाव यहां से 1996 में हार गए।
करनाल लोकसभा राजनीतिक इतिहास
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साल |
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विजेता |
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पार्टी |
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1952 |
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वीरेंद्र कुमार सत्यवादी |
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कांग्रेस |
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1957 |
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सुभद्रा जोशी |
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कांग्रेस |
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1962 |
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स्वामी रमेशवरानंद |
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भारतीय जन संघ |
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1967 |
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माधो राम शर्मा |
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कांग्रेस |
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1971 |
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माधो राम शर्मा |
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कांग्रेस |
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1977 |
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भगवंत दयाल शर्मा |
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जनता पार्टी |
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1978 |
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मोहिंद्र सिंह |
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जनता पार्टी |
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1980 |
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चिरंजी लाल शर्मा |
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कांग्रेस (1) |
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1984 |
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चिरंजी लाल शर्मा |
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कांग्रेस |
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1989 |
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चिरंजी लाल शर्मा |
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कांग्रेस |
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1991 |
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चिरंजी लाल शर्मा |
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कांग्रेस |
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1996 |
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ईश्वर दयाल स्वामी |
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भाजपा |
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1998 |
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भजन लाल |
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कांग्रेस |
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1999 |
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ईश्वर दयाल स्वामी |
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भाजपा |
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2004 |
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अरविंद शर्मा |
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कांग्रेस |
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2009 |
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अरविंद शर्मा |
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कांग्रेस |
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2014 |
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अश्विनी चौपड़ा |
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भाजपा |
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2019 |
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संजय भाटिया |
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भाजपा |
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