Haryana News: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा में इंस्पेक्टर से डीएसपी पद पर प्रमोशन के लिए होने वाली डीपीसी बैठक पर 29 फरवरी तक रोक जारी रखने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि जो लोग आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या फिर मलाईदार के दायरे में आते हैं। परत को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है। हाई कोर्ट ने सरकार को अगली सुनवाई पर इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
याचिका दायर करते हुए इंस्पेक्टर कमलजीत सिंह व अन्य ने कहा कि हरियाणा सरकार ने इंस्पेक्टर से डीएसपी पद पर पदोन्नति प्रक्रिया शुरू कर दी है। याचिकाकर्ताओं को जानकारी मिली कि इस प्रक्रिया में आरक्षण लागू कर दिया गया है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एससी और एसटी के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता का निर्धारण करने के लिए डेटा का संग्रह पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने इंस्पेक्टर के रूप में आवश्यक वर्षों की सेवा पूरी कर ली है और वे डीएसपी के पद पर पदोन्नत होने के पात्र हैं। 27 सितंबर को डीजीपी ने इंस्पेक्टरों से डीएसपी पद पर प्रमोशन के लिए आवेदन मांगे थे और इसमें याचिकाकर्ताओं के नाम भी दिए गए थे।
याचिकाकर्ताओं की पदोन्नति के आदेश पारित होने से पहले, राज्य सरकार ने मुख्य सचिव के माध्यम से 25 अक्टूबर को राज्य सरकार की सेवाओं में समूह ए और बी के पदों पर अनुसूचित जाति को पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के निर्देश जारी किए।
इसके बाद 25 अक्टूबर को सरकार ने एक आदेश जारी किया, जिसके जरिए याचिकाकर्ताओं से कनिष्ठ अनुसूचित जाति के इंस्पेक्टरों को डीएसपी के पद पर प्रोन्नति देने के लिए मामले मांगे गये। याचिकाकर्ता का कहना था कि इस तरह से आरक्षण लागू करना शीर्ष अदालत द्वारा पारित फैसले का उल्लंघन है।
इससे पहले भी हरियाणा सरकार ने 16 मार्च 2006 को ऐसे निर्देश जारी किए थे, जिसके तहत हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारियों को त्वरित वरिष्ठता प्रदान की थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने प्रेम कुमार वर्मा व अन्य बनाम हरियाणा राज्य के मामले में सरकार के निर्देशों को रद्द कर दिया था।
एकलपीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक पर रोक लगा दी थी, लेकिन बाद में रोक हटा दी गयी।
याचिकाकर्ताओं ने इसके खिलाफ खंडपीठ के समक्ष याचिका दायर की और कहा कि यदि पदोन्नति हुई तो उनकी याचिका का कोई औचित्य नहीं रहेगा। ऐसे में डिवीजन बेंच ने अब डीपीसी बैठक पर 29 फरवरी तक रोक जारी रखने का आदेश दिया है।
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