Haryana News, चंडीगढ़: केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में एक्स कैडर पदों पर नियुक्तियों की समय सीमा तय की जाएगी। इसके लिए चंडीगढ़ प्रशासन ने हरियाणा और पंजाब को विश्वास में लिए बिना प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया है।
इस प्रस्ताव के मुताबिक यूटी चंडीगढ़ में होने वाली हरियाणा और पंजाब के एक्स-कैडर पदों की भर्ती पर नियुक्त अधिकारी और कर्मचारी पांच साल से ज्यादा चंडीगढ़ में काम नहीं कर पाएंगे। पांच साल बाद उन्हें अपने राज्य लौटना होगा। फिर संबंधित राज्य सरकारें तय करेंगी कि उस अधिकारी और कर्मचारी को किस जिले में कहां तैनात किया जाए।
मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव चंडीगढ़ में पहले से काम कर रहे उन कर्मचारियों और अधिकारियों पर भी लागू माना जाएगा जो पहले से ही यहां सेवाएं दे रहे हैं। दोनों राज्यों के हजारों कर्मचारी कई सालों से चंडीगढ़ में सेवाएं दे रहे हैं और एक ही जगह पर रुके हुए हैं।
यूटी चंडीगढ़ प्रशासन का मानना है कि इस व्यवस्था में बदलाव होना चाहिए, ताकि नए लोगों को भी चंडीगढ़ में काम करने का मौका मिल सके, लेकिन यह प्रस्ताव उन कर्मचारियों के लिए परेशानी लेकर आया है जो लंबे समय से यहां काम कर रहे हैं। ।
एक्स-कैडर पदों के लिए समय सीमा बढ़ सकती है
बताया जा रहा है कि इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए भेजने से पहले यूटी चंडीगढ़ के अधिकारियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस की जांच नहीं की। अधिकांश अधिकारी इस प्रस्ताव के खिलाफ थे, लेकिन हरियाणा के एक वरिष्ठ आईएएस के कारण एक्स-कैडर पदों के लिए पांच साल की समय सीमा तय की गई। इसे अधिकतम दो साल तक बढ़ाया जा सकता है।
80 प्रतिशत पद यूटी कैडर के लिए आरक्षित
पंजाब और हरियाणा के बीच हुए समझौते के मुताबिक यूटी चंडीगढ़ में 60 फीसदी पद पंजाब और 40 फीसदी पद हरियाणा के लिए थे। वर्ष 1991 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसमें बदलाव किये। यूटी में विभिन्न विभागों में कुल पदों में से 80 प्रतिशत पद यूटी कैडर के लिए निर्धारित किए गए थे। शेष 20 प्रतिशत पदों में से 60 प्रतिशत पंजाब और 40 प्रतिशत हरियाणा के कर्मचारियों के लिए आरक्षित थे। ये नियम 1991 से प्रभावी हैं।
पंजाब और हरियाणा के लिए तय 20 फीसदी पदों के मुकाबले दोनों राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति के आधार पर तबादले पर चंडीगढ़ भेजती रही हैं। चूंकि ये दोनों राज्यों के कैडर पोस्ट हैं। ऐसे में यूटी प्रशासन के पास इन कर्मचारियों की अवधि तय करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। इसके बावजूद कई बार समय सीमा तय करने की कोशिश की गई।
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हरियाणा और पंजाब सरकारें यूटी के प्रस्ताव के पक्ष में नहीं हैं
3 मार्च, 2023 को यूटी चंडीगढ़ के सलाहकार की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, जिसमें चंडीगढ़ के अलावा पंजाब और हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। उस दौरान यूटी प्रशासन चंडीगढ़ में नौकरियों के लिए समय सीमा तय करना चाहता था, लेकिन दोनों राज्यों ने दो टूक कह दिया था कि हमारे कर्मचारी यूटी चंडीगढ़ में कितने दिन सेवा देंगे, यह हम तय करेंगे।
यूटी प्रशासन इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पहले ही ऐसे प्रस्ताव पर आपत्ति जता चुके हैं। दोनों राज्यों के कर्मचारियों ने इस मुद्दे पर एक बार फिर पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से मिलने का फैसला किया है। इस बीच 7 फरवरी को दोनों राज्यों के कर्मचारी पंजाब राजभवन का घेराव करेंगे। इसके लिए चंडीगढ़ के गृह सचिव को पत्र लिखा गया है।
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