Sirsa Assembly constituency History: सिरसा विधानसभा क्षेत्र हरियाणा के 90 विधानसभा क्षेत्र में एक है। 2019 में, सिरसा विधान सभा क्षेत्र में कुल 2,07,519 मतदाता थे।
2019 में इस सीट से हरियाणा लोकहित पार्टी के उम्मीदवार गोपाल कांडा जीते और विधायक बने। उन्हें कुल 44915 वोट मिले।
निर्दलीय प्रत्याशी गोकुल सेतिया कुल 44313 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वे 602 वोटों से हार गये।
यहां से पांच बार लछमण दास अरोड़ा चुनाव जीत चुके है। दो बार यहां से गोपाल कांडा चुनाव जीत चुके है।
इस विधानसभा सीट पर संघ का काफी प्रभाव रहा है। 1967 में यहां पहला चुनाव हुआ। इस चुनाव में अखिल भारतीय जन संघ के लछमण दास अरोड़ा ने जीत दर्ज की।
इसके बाद कांग्रेस के प्रेम सुख दास ने 1968 में इस सीट से चुनाव जीता। प्रेम सुख दास 1972 में दूसरी बार कांग्रेस की और से यहां से जीते।
1977 में यहां जनता पार्टी ने जीत दर्द की। जनता पार्टी की और से शंकर लाल ने यहां से जीत दर्ज की। शंकर लाल ने निर्दलीय लड़ रहे लछमण दास अरोड़ा को हराया।
1982 में निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे लछमण दास अरोड़ा ने बीजेपी के महावीर प्रसाद रातुसरिया को हराया।
इसके बाद लछमण दास अरोड़ा कांग्रेस में शामिल हो गए। 1987 में यहां से लोकदल के हाजर चंद ने उन्हें हरा दिया।
1991 में फिर से लछमण दास ने यहां से वापसी करी और कांग्रेस की झोली में ये सीट डाली। इस बार यहां बीजेपी से उनका मुकाबला हुआ।
1996 में यहां एक बार फिर बीजेपी ने वापसी की। बीजेपी के गणेशी लाल ने लछमण दास अरोड़ा को हरा दिया। बीजेपी पार्टी बनने के बाद यहां से ये पहली जीत थी।
2000 में यहां से लछमण दास अरोड़ा ने कांग्रेस के लिए फिर से सीट निकाली। इस बार बीजेपी की और से जगदीश चौपड़ा को मैदान में उतारा गया था।
2005 में यहां से फिर लछमण दास अरोड़ा ने हुंकार भरी और जीत दर्ज की। इस बार यहां उन्हें इनेलो से कड़ा मुकाबला देखने को मिला।
2009 में गोपाल गोयल कांडा ने निर्दलीय यहां से चुनाव लड़ा और विजयी रहे। कांडा ने इनेलो के पदम जैन को हराया। हालांकि बाद में कांग्रेस को समर्थन दिया और हरियाणा के गृह मंत्री बन गए।
2014 में मोदी लहर पूरी तरह से हावी थी। लेकिन इसके बावजूद इनेलो से मखन लाल सिंगला ने यहां से जीत दर्ज की। हालांकि गोपाल कांडा पर गीतिका मर्डर केस चला जिसके बाद उन्हें गृह मंत्री से हटा दिया और उसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी बना ली। जिसका नाम रखा हरियाणा लोकहित पार्टी। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
2019 में एक बार फिर मोदी लहर पूरे देश में चल रही थी। लेकिन इस बार गोपाल कांडा ने यहां से जीत दर्ज की। बाद में बीजेपी को समर्थन दे दिया। मौजूदा समय में अपनी पार्टी को बीजेपी में विलय कर चुके है।
सिरसा विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। INC और INLD/HJP के बीच मुख्य मुकाबला रहा है। जाति और धर्म भी चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह सिरसा विधानसभा क्षेत्र का एक संक्षिप्त राजनीतिक इतिहास है। अधिक जानकारी के लिए, आप चुनाव आयोग की वेबसाइट और अन्य विश्वसनीय स्रोतों का संदर्भ ले सकते हैं।
अतिरिक्त जानकारी:
सिरसा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा
कुल मतदाता: 2,07,519 (2019)
लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित
1967 से 2019 तक का इतिहास
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साल |
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विजेता |
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पार्टी |
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1967 |
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लछमण दास अरोड़ा |
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भारतीय जन संघ |
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1968 |
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प्रेम सुख दास |
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कांग्रेस |
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1972 |
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प्रेम सुख दास |
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कांग्रेस |
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1977 |
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शंकर लाल |
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जनता पार्टी |
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1982 |
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लछमण दास अरोड़ा |
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निर्दलीय |
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1987 |
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हाजर चंद |
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लोकदल |
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1991 |
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लछमण दास अरोड़ा |
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कांग्रेस |
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1996 |
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गणेशी लाल |
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बीजेपी |
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2000 |
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लछमण दास अरोड़ा |
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कांग्रेस |
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2005 |
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लछमण दास अरोड़ा |
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कांग्रेस |
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2009 |
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गोपाल गोयल कांडा |
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निर्दलीय |
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2014 |
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मखन लाल सिंगला |
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इनेलो |
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2019 |
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गोपाल कांडा |
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हरियाणा लोकहित पार्टी |
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