Hayana Special : हरियाणा का सबसे बड़ा राजनीतिक परिवार कहा जाने वाला चौटाला परिवार राज्य से बाहर जमीन तलाशने की कोशिश में लगा है। ये वैसे अभी से नहीं पहले भी कई बार हरियाणा से बाहर वोटर्स को साधने को कोशिश चली आ रही है।
देवीलाल परिवार की पिछली चार पीढ़ियों से हरियाणा के अलावा यूपी, नई दिल्ली, राजस्थान और पंजाब में राजनीतिक जड़ें जमाने की कोशिशें हो रही हैं। बेशक, राजस्थान ने भी देवीलाल परिवार को तीन बार मौका दिया, लेकिन खुद को राजनीतिक तौर पर स्थापित करने के लिए जिस समर्थन की जरूरत थी, वह हरियाणा के बाहर अभी तक नहीं मिल पाया है।
हाल ही में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के प्रपौत्र और हरियाणा सरकार में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी राजस्थान में अपनी जननायक जनता पार्टी का विस्तार करने की कोशिश की।
पड़ोसी राज्य में पार्टी के लिए संभावनाएं तलाशने पहुंचे दुष्यंत ने वहां 25 विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन 6 उम्मीदवार तो चुनाव से पहले मैदान छोड़ गए। हालांकि अभी दुष्यंत चौटाला अपनी कोशिशें जारी रखने की बात कह रहे है।
हरियाणा में लोकदल का काफी प्रभाव देखा गया है। अब परिवार और पार्टी में फूट के बाद इनेलो और जेजेपी दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। 2019 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा में दस विधानसभा सीटें जीतने के बाद दुष्यंत चौटाला सत्ता में आए, लेकिन उन्हें वह मुकाम हासिल नहीं हो सका, जिसके लिए उन्होंने इनेलो से अलग होकर अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई।
राजस्थान में हार के बाद देवीलाल परिवार के इतिहास में एक और अध्याय जुड़ गया है कि जब भी देवीलाल परिवार सत्ता में रहा, उसने पड़ोसी राज्यों में अपनी पार्टी स्थापित करने की कोशिश की। राजस्थान में जेजेपी को 19 हलकों में सिर्फ 0.15 फीसदी वोट मिले। 12 सीटों पर दुष्यंत की पार्टी को 160 से 1200 वोट मिले। अकेले फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में जेजेपी प्रत्याशी को 23 हजार 851 वोट मिले।
देवीलाल और अजय चौटाला सफल रहे
1989 में जब चौ. जब देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने राजस्थान के सीकर, हरियाणा के रोहतक और पंजाब के फिरोजपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा। देवीलाल सीकर और रोहतक में जीते। बाद में उन्होंने रोहतक सीट छोड़ दी और सीकर से सांसद बने रहे।
इस उपलब्धि के बाद भी 1998 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में चौधरी देवीलाल के छोटे पोते अभय चौटाला संगरिया से चुनाव लड़े और हार गये। इसके बाद 1990 से 1993 तक पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला राजस्थान की दातारामगढ़ विधानसभा से विधायक रहे।
इसके बाद 1993 से 1998 तक वह नोहर (राजस्थान) से विधायक रहे। इसके बाद भी कई कोशिशें हुईं, लेकिन देवीलाल परिवार राजनीतिक तौर पर खुद को स्थापित नहीं कर सका।
चौटाला की नजर यूपी पर रही
इनेलो सुप्रीमो और पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला उत्तर प्रदेश में लोकदल के लिए संभावनाएं तलाशना चाहते थे। वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने लिए अच्छी संभावनाएं लेकर जा रहे थे। इसको लेकर काफी गंभीर भी थे। 1999-2000 में जब वह प्रदेश के सीएम बने तो उन्होंने यूपी के लिए पूरा जोर लगा दिया।
चौटाला ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता और वहां से विधायक हरेंद्र मलिक को हरियाणा से राज्यसभा भेजा ताकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों के बीच पार्टी का अच्छा संदेश जा सके। इसके बाद चौटाला ने यूपी विधानसभा में अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
खैर जो भी हो अभी तो 2024 में देवीलाल परिवार के लिए हरियाणा में खुद को स्थापित करना होगा। जहां एक तरफ अभय चौटाला को एक से 46 तक पहुचंना है वहीं दुष्यंत को 10 से 46 तक। हालांकि इनेलो अकेले मैदान में होगी तो वहीं जेजेपी बीजेपी के साथ ही जाना चाहती है।
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