हरियाणा पुलिस के 372 जांच अधिकारियों के निलंबन का मामला गहराया, डीजीपी की रिपोर्ट की जांच करेंगे गृह सचिव

Haryana News : हरियाणा पुलिस के 372 जांच अधिकारियों (आईओ) के निलंबन का मामला और गहरा गया है। नाटकीय घटनाक्रम यह था कि पिछली रिपोर्ट में लंबित मामलों में 372 जांच अधिकारियों …

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Anil Vij


Haryana News : हरियाणा पुलिस के 372 जांच अधिकारियों (आईओ) के निलंबन का मामला और गहरा गया है। नाटकीय घटनाक्रम यह था कि पिछली रिपोर्ट में लंबित मामलों में 372 जांच अधिकारियों के नाम सामने आये थे। अब जिलों से मिली रिपोर्ट के आधार पर डीजीपी ने जो संकलित रिपोर्ट भेजी है, उसमें सिर्फ 99 आईओ को केस लटकाने के लिए दोषी माना गया है।


सोमवार को गृह सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने यह रिपोर्ट गृह मंत्री को भेजी थी। रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद नाराज विज ने गृह सचिव को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। 


यहां आपको बता दें कि इससे पहले उन्होंने गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद के माध्यम से भी रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन करने के बाद विज इस बात से हैरान रह गए कि एक महीने पहले जहां 372 जांच अधिकारी दोषी पाए गए थे, वहीं अब उनकी संख्या घटकर 99 रह गई है।


विज के निर्देश पर करीब 100 आईओ को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है। शेष 272 आईओ के संबंध में डीजीपी की ओर से रिपोर्ट भेजी गयी थी। पुलिस आयुक्तों और पुलिस अधीक्षकों की ओर से भेजी गई इस रिपोर्ट में केसवार ब्यौरा दिया गया है। 


इतना ही नहीं, हर मामले के साथ उनके लंबित रहने का कारण भी बताया गया। ऐसे और भी मामले हैं जो कानूनी जटिलताओं के कारण लंबित हैं। ऐसे कई मामले हैं जिनमें जांच अधिकारी और जांच एजेंसी बार-बार बदली गईं।


पुलिस विभाग के आला अधिकारियों की कार्यप्रणाली से नाराज विज ने पूरे मामले की जांच गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद को सौंपी है। विज ने प्रसाद को पूरे मामले की जांच कर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है। इसके अलावा इस मामले में संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय करने को भी कहा गया है।


कोई गुमराह करने की कोशिश कर रहा: विज


हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा, 'मैं उन जांच अधिकारियों की रिपोर्ट देखकर हैरान हूं जिन्होंने मामलों को एक साल से अधिक समय तक लटकाया। रिपोर्ट में विभाग ने अब कहा है कि ऐसे जांच अधिकारियों की संख्या 99 है जिनके पास एक साल से अधिक समय से मामले लंबित थे। कैसे घटी संख्या? कोई न कोई सरकार को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। साफ है कि या तो पहली रिपोर्ट झूठी थी या फिर नई रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ है।

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