रोहतक: नए स्कूल बनाना तो दूर बीजेपी-जेजेपी सरकार पहले से स्थापित स्कूलों में बिजली, पानी, यहां तक कि लड़कियों को टॉयलेट तक मुहैया नहीं करवा रही है। गठबंधन सरकार की शर्मसार करने वाली यह सच्चाई हाई कोर्ट में उजागर हुई है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का।
हुड्डा रोहतक में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। आज उन्होंने यहां कई सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत की।
इस मौके पर हुड्डा ने हाई कोर्ट द्वारा प्रदेश सरकार पर लगाए गए 5 लाख के जुर्माने की खबर पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद से भाजपा लगातार हरियाणा के शिक्षा तंत्र को नीतिगत तरीके से बर्बाद कर रही है। पहले तो बीजेपी ने टीचर्स की भर्तियां बंद की।
इस सरकार ने 9 साल में अब तक एक भी जेबीटी की भर्ती नहीं निकाली। उसके बाद सरकार ने अध्यापकों से पढ़ाई का काम छुड़वाकर उनकी मंडी व मेलों में व्यवस्था संभालने और परिवार पहचान पत्र बनाने में जैसे कामों में ड्यूटी लगाई गई। फिर रैशनलाइजेशन जैसी पॉलिसी लाकर टीचर्स के हजारों पदों को खत्म कर दिया गया।
हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार ने सरकारी स्कूलों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने के लिए नई-नई नीतियां लागू की। यहां तक कि प्राइवेट स्कूलों को सरकारी स्कूल गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया। उसके बाद मर्जर के नाम पर करीब 5000 स्कूलों को बंद कर दिया गया। अब हाई कोर्ट में दिए गए हलफनामे से पता चलता है कि ये बीजेपी-जेजेपी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले दलित, पिछड़े वर्ग, गरीब व किसान वर्ग के बच्चों को हर एक सुविधा और शिक्षा से वंचित करना चाहती है।
शिक्षा विभाग ने खुद बताया है कि आज हरियाणा के 131 सरकारी स्कूलों में पीने का पानी तक नहीं है। 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया। हर घर शौचालय का नारा देने वाली सरकार ने 538 स्कूलों में लड़कियों के लिए एक भी शौचालय नहीं बनवाया। 1047 स्कूलों में तो लड़कों के लिए भी शौचालय नहीं है।
छात्रों के लिए स्कूलों में 8240 और क्लासरूम की जरूरत है। हैरानी की बात यह है कि सुविधाओं व संसाधनों का इतना टोटा होने के बावजूद शिक्षा विभाग ने 10,676 करोड़ रूपये की ग्रांट को बिना इस्तेमाल के सरकार को वापिस भेज दिया।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि विज्ञापनों के जरिए जनता को भ्रमित करने वाली सरकार की हकीकत कई मुद्दों पर कोर्ट में उजागर हो चुकी है। शिक्षा के साथ-साथ नौकरियों के मामलों में अनियमितताएं पाए जाने पर कई बार कोर्ट ने सरकार को जुर्माना लगाया है। कुछ दिन पहले ही वेटनरी सर्जन की भर्ती में हुए कई खुलासों के चलते सरकार को आखिरकार यह भर्ती रद्द करनी पड़ी। खुद मुख्यमंत्री ने माना कि उनकी सरकार में पेपर लीक होते हैं।
मुख्यमंत्री के इस काबुलनामे से कांग्रेस द्वारा लगाए गए भर्ती घोटालों के आरोप सही साबित हो रहे हैं। इसलिए कांग्रेस की मांग है कि बिना देरी के तमाम भर्ती घोटालों की हाई कोर्ट के सीटिंग जज की निगरानी में सीबीआई जांच होनी चाहिए। अगर सरकार अब भी जांच से भागती है तो तमाम घोटालों में उसकी भूमिका पर सवाल उठने लाजमी हैं।
पत्रकारों से बातचीत में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार भर्ती घोटालों के साथ शराब घोटाले व जहरीली शराब के मामलों को भी दबाने में लगी है। अबतक लॉकडाउन शराब घोटाले में किसी पर कार्रवाई नहीं हुई। नशा कारोबारियों को सरकार द्वारा संरक्षण दिए जाने का ही नतीजा है कि पहले सोनीपत और अब यमुनानगर में जहरीली शराब से दर्जनों लोगों की मौत हो गई। इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
लेकिन सच्चाई उजागर होने के डर से बीजेपी-जेजेपी किसी भी मामले की जांच सिरे नहीं चढ़ने देती। यह वजह है कि यह सरकार सिर से पैर तक भ्रष्टाचार में डूबी है जिसने प्रदेश में रोजगार, शिक्षा तंत्र व कानून व्यवस्था का भट्ठा बिठा दिया। इसीलिए हर वर्ग इस सरकार से पूरी तरह त्रस्त हो चुका है। प्रदेश में आने वाली सरकार कांग्रेस की होगी।
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