चंडीगढ़: हरियाणा में अगले साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष पद से ओमप्रकाश धनखड़ की छुट्टी कर दी है।
उनकी जगह पर नायब सिंह सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। धनखड़ जाट कम्युनिटी से संबंधित थे।
वहीं नायब सैनी BC समुदाय से हैं और इस समय कुरुक्षेत्र से भाजपा के लोकसभा सांसद भी हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के हवाले से राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी हेडक्वार्टर प्रभारी अरूण सिंह ने यह आदेश जारी किए। दोनों की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी।
हरियाणा BJP से जुड़े पुख्ता सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हुई मुलाकात में प्रदेश संगठन को लेकर चर्चा की थी।
सीएम ने पीएम के सामने आग्रह किया था कि बीसी समाज को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए इस समाज के शख्स को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए।
चूंकि बीसी समाज से नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पहली पसंद थे, इसलिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी पसंद पर मुहर लगाते हुए सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।
संगठन में हुए इस बदलाव की सूचना ओमप्रकाश धनखड़ को शुक्रवार सुबह ही मिल गई थी।
इसी वजह से उन्होंने शुक्रवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान प्रदेश अध्यक्ष बदलने संबंधी सवाल पर कहा था कि बदलाव एक सतत प्रक्रिया है।
पार्टी ने हाल में कई राज्य इकाइयों में फेरबदल किया है और हरियाणा में भी ऐसा बदलाव होने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।
बता दें कि धनखड़ शुक्रवार को हरियाणा में BJP सरकार के 9 साल पूरे होने पर चंडीगढ़ पहुंचे थे।
हरियाणा में धनखड़ भाजपा में जाटों का बड़ा चेहरा हैं। धनखड़ जाटलैंड रोहतक से हैं, जहां कांग्रेस के जाट नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दबदबा माना जाता है।
धनखड़ को चुने जाने के पीछे कई फैक्टर जुड़े हैं।
वे लंबे समय से RSS से जुड़े रहे हैं, भाजपा के साथ-साथ संघ को भी उनके प्रदेशाध्यक्ष बनने पर कोई आपत्ति नहीं थी।
अनुभव भी धनखड़ का प्लस पॉइंट रहा है। वे संगठन में लंबे समय से काम कर रहे हैं।
भाजपा के किसान मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं, इसके साथ-साथ अन्य पदों पर भी रहे हैं।
2014 में मनोहर लाल खट्टर सरकार के फर्स्ट टर्म की सरकार में धनखड़ बादली विधानसभा से चुनकर विधायक बने थे।
इसके बाद उन्हें कृषि, मत्स्य, नहरी मंत्री बनाया गया था।
2019 के चुनाव में धनखड़ हरियाणा के उन भाजपाई मंत्रियों में शामिल थे जो चुनाव हार गए थे।
इससे पहले के उनके राजनीतिक करियर की बात करें तो वे 1978 में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़ गए थे।
इसके बाद विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम किया। उन्होंने धीरे-धीरे संगठन में अपनी जगह बनाई।
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