Doklam Corridor Disputes : चीन के दबाव में डोकलाम कॉरिडोर पर समझौते की कोशिश कर रहे भूटान को भारत सरकार ने चेतावनी दी है। भारत ने भूटान से साफ कह दिया है कि वह डोकलाम जैसे संवेदनशील मुद्दे पर किसी भी तरह के समझौते के खिलाफ है। सीमा विवाद के किसी भी समाधान से भारत के हितों पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ना चाहिए।
दरअसल, चीन और भूटान राजनयिक संबंध स्थापित करने और सीमा विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं। इसे लेकर चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बीजिंग में भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी से मुलाकात भी की है। इस दौरान चीन ने भूटान से पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने और विवादों को सुलझाने का आग्रह किया।
रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने पर सहमति बनी है। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में वांग के हवाले से कहा गया कि राजनयिक संबंधों की बहाली दोनों देशों के दीर्घकालिक हित में होगी। चीन भूटान की करीब 764 वर्ग किलोमीटर जमीन पर अपना दावा करता है।
भारत ने भूटान को दी चेतावनी
अंग्रेजी अखबार 'द इकोनॉमिक टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने भूटान से कहा है कि भारत डोकलाम कॉरिडोर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर किसी भी तरह के समझौते के खिलाफ है और सीमा विवाद के किसी भी समाधान से भारत के हितों पर कोई असर पड़ेगा। किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
2017 में जब चीनी सेना ने इस इलाके में सड़क का निर्माण शुरू किया तो भारतीय सैनिकों ने इसका विरोध किया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच लंबे समय तक गतिरोध चला। भूटान भारत के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है और दशकों से सैन्य साझेदारी सहित भारत के साथ उसके रणनीतिक संबंध रहे हैं।
भारत और भूटान ही ऐसे दो पड़ोसी देश हैं जिनके साथ चीन का अभी भी सीमा विवाद है। चीन ने अन्य सभी पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद सुलझा लिया है।
चीन-भूटान सीमा विवाद
चीन भूटान के उत्तर-पश्चिमी और मध्य क्षेत्र के लगभग 764 वर्ग किमी क्षेत्र पर अपना दावा करता है। शुरुआत में यह सीमा विवाद भी भारत और चीन के बीच था। लेकिन 1984 में चीन और भूटान के बीच सीधा संपर्क स्थापित हो गया।
चीन और भूटान के बीच जिन दो क्षेत्रों को लेकर सबसे ज्यादा विवाद है। इनमें 269 वर्ग किलोमीटर का डोकलाम भी शामिल है। और दूसरा क्षेत्र भूटान के उत्तर में 495 वर्ग किलोमीटर का जकारलुंग और पासामलुंग घाटी क्षेत्र है। 1984 के बाद से 24 से अधिक दौर की वार्ता और 12 विशेषज्ञ स्तर की बैठकें हो चुकी हैं।
भारत के लिए डोकलाम संवेदनशील मुद्दा
डोकलाम पठार भारत, भूटान और चीन के त्रिकोण पर स्थित है। इसके पहाड़ी इलाकों पर भूटान और चीन दोनों अपना-अपना दावा पेश करते हैं। भारत भूटान के दावे का समर्थन करता है।
डोकलाम का मुद्दा भारत के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा है क्योंकि भूटान के इलाकों में चीन का अतिक्रमण भारत से जुड़ा है। विश्लेषकों का मानना है कि डोकलाम में चीन का नियंत्रण सीधे तौर पर भारत के सुरक्षा हितों के खिलाफ होने वाला है। चीन भूटान को अपने क्षेत्र पर अतिक्रमण करने के लिए मजबूर कर रहा है और भारत के साथ सीमाओं पर यथास्थिति बदल रहा है।
भारत डोकलाम में चीन की विस्तारवादी नीति का विरोध करता रहा है क्योंकि डोकलाम भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के करीब है। यह गलियारा भारत के लिए रणनीतिक महत्व का है जो उत्तर-पूर्वी राज्यों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है।
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