Haryana News : हरियाणा राज्य औद्योगिक और आधारभूत संरचना विकास निगम (HSIIDC) की ओर से धारूहेड़ा में 3 नए इंडस्ट्रीयल सेक्टर विकसित करने के लिए अधिग्रहित की 500 एकड़ जमीन का बढ़ा हुआ मुआवजा देने में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है।
हाईकोर्ट के फैसले पर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ.सुशील कुमार गर्ग की अदालत में दायर एग्जीक्यूशन पिटीशन और कुछ किसानों के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने पर निगम अधिकारी राहत के लिए उच्चतम न्यायालय में पहुंचे हैं।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि 8 सप्ताह में बढ़े हुए मुआवजा राशि के लगभग 1200 करोड़ रुपए किसानों के खाते में जमा कराएं।
एचएसआइआइडीसी ने साल 2011 में धारूहेड़ा औद्योगिक क्षेत्र के लिए सेक्टर-15,16 एवं 17 को विकसित करने के लिए मालपुरा, कापड़ीवास, घटाल, महेश्वरी सहित अन्य गांवों की 1814 कनाल 15 मरला जमीन का अधिग्रहण किया था।
वहीं एचएसआइआइडीसी ने 40 से लेकर 50 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा राशि निर्धारित की थी।
इस अवार्ड को लेकर को मालपुरा, कापड़ीवास, घटाल एवं अन्य अन्य गांवों के काफी किसानों ने वर्ष 2016 में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में वाद दायर करते हुए अवार्ड राशि को चुनौती दी थी।
किसानों की तरफ से उनके अधिवक्ताओं ने तर्क दिया था कि निगम की तरफ जहां पर जमीन अधिग्रहण किया गया
वहां पर बाजार भाव चार से पांच करोड़ रुपए प्रति एकड़ है जबकि अवार्ड बेहद कम सुनाया गया है।
साल 2019 में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने फैसला देते हुए मुआवजा राशि को कम बताते हुए 80 लाख रुपये प्रति एकड़ के साथ स्ट्रक्चर का 53 लाख और बागवानी के लिए 1 करोड़ 70 लाख का मुआवजा तय किया था।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से बढ़ाए हुए मुआवजा को लेने के लिए इन गांवों के किसानों ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ.सुशील कुमार गर्ग की अदालत एग्जीक्यूशन पिटीशन दाखिल की है।
अदालत की तरफ से इस एग्जीक्यूशन पिटीशन पर सुनवाई शुरू करते हुए एचएसआईआईडीसी के एमडी एवं एजीएम को पिछले माह नोटिस जारी किया था।
इसके अलावा कुछ किसान सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच हैं। सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की याचिका स्वीकार कर ली है।
दोनों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 8 सप्ताह में पैसा जमा कराने का आदेश दिया है।
एडीजे की अदालत के फैसले से असंतुष्ट किसानों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में वर्ष 2019 में प्रथम अपील की दायर की थी।
इस अपील पर सुनवाई करते हुए 1 करोड़ 21 लाख रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा निर्धारित किया था।
साल 2022 हाईकोर्ट के इस फैसले के पश्चात भी निगम ने बढ़ा हुआ मुआवजा किसानों को नहीं दिया है।
इसी बीच निगम भी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था जहां उनकी अपील खारिज की जा चुकी है।
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