Haryana Assembly Election 2024 : खरखौदा विधानसभा क्षेत्र जो कि पहले रोहट हलके के नाम से जाना जाता था। इस हलके में आज तक ऐसा मौका नहीं आया जब भाजपा के किसी उम्मीदवार ने जीत दर्ज की हो। इतना ही नहीं इस सीट पर हुए सभी चुनाव में कोई भी भाजपा प्रत्याशी अब तक दूसरे नंबर पर भी नहीं रहा है।
अब तक हुए 12 चुनाव में सबसे अधिक बार कांग्रेस ने 5 बार इस सीट पर कब्जा किया और एक बार नेशनल कांग्रेस के प्रत्याशी ने यहां जीत दर्ज की है।
पहले चुनाव में ही निर्दलीय ने मारी बाज़ी
इसके बाद एलकेडी का नंबर आता है। जिस के उम्मीदवार ने यहां 2 बार चुनाव जीता है। 1967 में विधानसभा चुनाव हुए थे, पूरा प्रदेश कांग्रेस के समर्थन में था, वहीं इस हलके ने उस समय आजाद प्रत्याशी बी सिंह को जीत का हार पहनाया था।
एक तरफ से दिल्ली और दूसरी तरफ से रोहतक जिले की सीमा को छूने वाले हलके में हमेशा ही विकास की कमी दिखाई दी है। केएमपी जहां खरखौदा के कुछ क्षेत्रों से निकलता है, वही यूपी से आने वाला रोहतक जाने वाला हाईवे से होकर गुजरता है। इसके बावजूद शहर की हालत शहरों जैसी कम ही है।
अधिकतर विधायक जाटों के बनें
आरक्षित होने के कारण पार्टियां जातिगत समीकरणों को ज्यादा तवज्जो नहीं दे सकती। हालांकि क्षेत्र में सबसे अधिक संख्या जाट समुदाय के वोटर्स की है। इसलिए रोहट हलके के समय यहां से अधिकतर बार जाट समुदाय से विधायक बने हैं।
खरखौदा हल्का बनने के बाद से इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। जयवीर सिंह ने लगातार 3 बार यहां से विधानसभा चुनाव जीता है।
1,57,936 कुल मतदाता
मतदाताओं की बात करें तो हलके में इस समय 157936 (इस बार के चुनाव में नए वोटर आने से वोटरों की संख्या बदल सकती है) मतदाता हैं। इसमें 86915 पुरुष और 71741 महिला मतदाता शामिल है। क्षेत्र में एनआरआई मतदाता के तौर पर एक मतदाता ही रजिस्टर्ड है।
2019 में भी बीजेपी दूसरे नंबर नहीं आई
खरखौदा हल्के में जातीय समीकरण की बात करें तो जाट समुदाय के मतदाता सबसे अधिक है। वहीं दूसरे नंबर पर अनुसूचित जाति के मतदाता आते हैं। वहीं लगातार 3 बार से विधायक जयबीर बाल्मीकि को भूपेंद्र सिंह हुड्डा का लगातार साथ मिल रहा है। जो कि उनके लिए पॉजिटिव पॉइंट है, हालांकि उनका जनसंपर्क काफी कमजोर रहा जो उनके लिए परेशानियां खड़ी कर सकता है।
2019 में पूरे हरियाणा में बीजेपी की लहर थी और लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 10 की 10 सीटें जीतकर विपक्ष को पूरी तरह बैकफुट पर ला दिया है। हालाँकि विधानसभा में उन्हें जेजेपी के सहारे की ज़रूरत पड़ी थी।
विधानसभा का इतिहास
उम्मीदवार |
पार्टी |
साल |
बी सिंह |
निर्दलीय |
1967 |
कंवर सिंह |
कांग्रेस |
1968 |
फूलचंद |
एनसीओ |
1972 |
ओम प्रकाश |
जेएनपी |
1977 |
भीम सिंह |
लोकदल |
1982 |
महेंद्र सिंह |
लोकदल |
1987 |
हुकम सिंह |
कांग्रेस |
1991 |
कृष्णा गहलावत |
एचवीपी |
1996 |
पदम सिंह |
इनेलो |
2000 |
सुखबीर सिंह |
एनसीपी |
2005 |
जयवीर सिंह वाल्मिकी |
कांग्रेस |
2009 |
जयवीर सिंह वाल्मिकी |
कांग्रेस |
2014 |
जयवीर सिंह वाल्मिकी |
कांग्रेस |
2019 |
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