समालखा विधानसभा में 1967 में राव वीरेंद्र सिंह और 1996 में चौधरी बंसीलाल की सरकार के पतन के दौरान तत्कालीन विधायक पर दलबदल की अंगुली उठी थी। जबकि करतार भडाना को तो चौधरी बंसीलाल की सरकार गिराने का सबसे तगड़ा सूत्रधार माना गया है।
वहीं 2009 में हरियाणा जनहित कांग्रेस में विधायक बने धर्म सिंह छौकर रातों-रात हुड्डा की सरकार में मंत्री बनने की लालसा के लिए कांग्रेसी बन गए थे। लेकिन धर्म सिंह के मंत्री बनने का उनका सपना पूरा नहीं हो पाया।
1990 से पहले करनाल में हुआ समालखा
स्मरणीय है कि सन 1990 से पहले समालखा, करनाल जिला का हिस्सा हुआ करती थी। चौधरी देवीलाल की सरकार ने सन 1991 में पानीपत को नया समालखा, पानीपत जिला विधानसभा बन गई। वहीं समालखा सीट पर भाजपा का जनाधार पहले भी था और वर्तमान में भी है।
समालखा पर संघ का प्रभाव रहा है!
भाजपा के जनाधार के बल पर समालखा से जनता पार्टी के मूलचंद जैन, इनेलो के सचदेव त्यागी एक-एक बार व हरियाणा विकास पार्टी व इनेलो से करतार सिंह भडाना दो बार विधायक चुने जा चुके हैं। 2014 में राजनीतिक समीकरणों को किनारे रखते हुए जाट बिरादरी बाहुल समालखा हलके से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रविंदर मछरौली विधायक बने। 2019 में यहाँ कांग्रेस ने सीट जीती। यहाँ से 2009 में हजकां से जीते धर्म सिंह कांग्रेस जीते।
यहाँ की जनता चलती है सरकार के साथ
समालखा की जनता अधिकतर सरकार के साथ ही चली है। वहीं लोकसभा चुनाव में करनाल से भाजपा प्रत्याशी देश में दूसरे सर्वाधिक वोटों से जीते। सांसद संजय भाटिया की जीत में समालखा के वोटरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं शहरी व ग्रामीण क्षेत्र से बने समालखा हलके में अभी भी मोदी लहर का अच्छा खासा प्रभाव है।
विधानसभा का इतिहास
1967 चौधरी रणधीर सिंह बीजेएस
1968 कटार छौकर कांग्रेस
1972 हरी सिंह रावल कांग्रेस
1977 मूलचंद जैन जपा
1982 कटार छौकर कांग्रेस
1987 सचदेव त्यागी लोकदल
1991 हरी सिंह नलवा जनता दल
1996 करतार भड़ाना हविपा
2000 करतार भड़ाना इनेलो
2005 भरत सिंह छौकर कांग्रेस
2009 धर्मसिंह छौकर हजकां
2014 रविंद्र मछरौली निर्दलीय
2019 धर्मसिंह छौकर कांग्रेस
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