भारतीय संस्कृति के प्रतीक आर्य पुत्र परम श्रद्धेय चौ0 मित्रसेन आर्य ने अपने जीवन काल में वह सब पुरूषार्थ किया जो एक व्यक्ति को एक आम मानव से महापुरूष बनाता है। उन्हें अपने जीवन में जहाँ भी अन्धेरा दिखाई दिया, वहीं दीपक जला कर खड़े हो गये और आजीवन समाज में उजाला करते रहे। उन्होंने गहन चिन्तन किया और इस निर्णय पर पहुंचे कि समाज में अघ्यात्म, वैदिक सभ्यता, शिक्षा, उच्च आदर्श, स्वास्थ्य एवं भाई-चारा स्थापित करने के लिए और अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, अराजकता समाप्त करने के लिए एक ही शस्त्र है और वह है ‘शिक्षा और पुरूषार्थ’।
चौ। मित्रसेन आर्य जी हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं, क्योंकि उन्होंने यह साबित करके दिखाया है कि मनुष्य की इच्छा शक्ति और मजबूत इरादें हो तो हर मनुष्य व्यक्तिगतहित, समाजहित एवं देशहित में एक साथ कार्य कर सकता है तथा राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकता है।
देशभर में अपनी मेहनत से व्यापार जगत में ख्याति प्राप्त करने के साथ-साथ उन्होंने देश को भीतर से मजबूत करने के लिए शिक्षा के महत्त्व को समझा और खासकर लड़कियों की शिक्षा पर बल देते हुए उन्होंने उन स्थानों पर स्कूलों की स्थापना की, जहां पर लड़कियों के पढ़ने की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। विभिन्न संस्थाओं को दान देने के साथ-साथ उन्होंने उइस तरह के सामाजिक रचनात्मक कार्यों के लिए खुद स्वयं सेवी संस्था का निर्माण भी किया, ताकि समाज के धरातल से मजबूती प्रदान की जा सके।
परम मित्र, मानव निर्माण संस्था, इसका जीता जागता उदाहरण है। जिसके सानिध्य में वन मित्र, कन्या विवाह,जल मित्र, खेल मित्र, महिला सशक्तिकरण, जागरूरकता अभियान आदि चलाए जाते हैं। ताकि समाज को हर तरह से मजबूती प्रदान की जा सके और राष्ट्र के निर्माण में हर व्यक्ति अपनी निर्णायक भूमिका निभा सकें।
दूसरी तरफ अपने तीन पुत्रों को देश सेवा में समर्पित करते हुए उन्हें भारतीय सेना में भेजा। ऐसे कम ही उदाहरण मिलते हैं, जब किसी व्यावसायी या नेता ने अपने बेटों को देश सेवा के लिए सेना में भेजा हो। वो भी एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन-तीन। जिनमें एक कैप्टन अभिमन्यु आज हरियाणा सरकार में वित्त मंत्री के पद पर विराजमान हैं। कैप्टन अभिमन्यु और अन्य सभी बच्चे आज भी चौ। मित्रसेन आर्य जी के दिखलाए आदर्श पथ पर अग्रसर हैं और समाजहित एवं देशहित में अपना योदगान दे रहे हैं।
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