Haryana Assembly Election 2024 : सफीदो भी पेप्सू के अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र था और यहां से 1951 में इंदर सिंह व 1954 में कलीराम विधायक निर्वाचित हुए थे। दोनों ही कांग्रेसी थे। 1957 में श्रीकृष्ण (कांग्रेस) ने एससीएफ के राम सिंह को पराजित किया तो 1962 में श्रीकृष्ण को निर्दलीय इंद्र सिंह ने शिकस्त दी। 1967 में श्रीकृष्ण ने निर्दलीय सत्यनारायण को पराजित किया।
1968 में यही सत्यनारायण राव वीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी से चुनाव लड़े और कांग्रेस के रामकिशन को मात देकर विधानसभा पहुंचे। 1972 में सत्यनारायण विशाल हरियाणा पार्टी के उम्मीदवार थे और वे कांग्रेस के धजाराम से हार गए। 1977 में जनता पार्टी प्रत्याशी चौधरी राम किशन बैरागी ने कांग्रेस के प्रताप सिंह को मात दी। 1982 में कांग्रेस के कुंदन लाल ने लोकदल के सतबीर सिंह को हराया तो 1987 में कुंदन लाल निर्दलीय सरदूल सिंह से हार गए।
1991 में कांग्रेस के बचन सिंह आर्य ने जनता पार्टी के रामफल कुंडू को मात दी। अगले चुनाव में रामफल ने हरियाणा विकास पार्टी प्रत्याशी रणवीर सिंह को परास्त किया। तो 2000 में रामफल कुंडू ने बचन सिंह आर्य से अपनी हार का बदला ले लिया।
2005 में कांग्रेस ने बचन सिंह आर्य की टिकट काटकर कर्मवीर सैनी को मैदान में उतारा लेकिन पुराने खिलाड़ी आर्य ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और सैनी को अच्छे खासे मतों से पराजित कर अपने जनाधार की पुष्टि कर दी। इनेलो के रामफल कुंडू तीसरे स्थान पर रहे ।
2009 में बचन सिंह आर्य फिर से निर्दलीय मैदान में कूदे लेकिन इस दफा इनेलो के कलीराम पटवारी ने उन्हें मात दे दी लेकिन आर्य की वजह से कांग्रेस प्रत्याशी रामकिशन बैरागी तीसरे स्थान पर पहुंच गए।
1977 में विधायक रहे चौधरी राम किशन बैरागी ने 32 साल बाद चुनाव लड़ा था। लेकिन नियति को मंजूर नहीं था कि वे पुनः सफीदों के विधायक बने। बहुजन समाज पार्टी के सुरेश कौशिक 14406 मतों को लेकर चौथे स्थान पर रहे। भाजपा ने राजू मोड़ को उम्मीदवार बनाया गया। उन्हें 8696 वोट मिले। हजकां के जय भगवान शर्मा को मात्र 1123 वोट ही मिल सके।
2014 में फिर से एक बार बचन सिंह आर्य पर दांव लगाया लेकिन इस बार वे चौथे स्थान पर जा पहुंचे। जीत निर्दलीय जसवीर देशवाल को मिली जिन्होंने भाजपा प्रत्याशी डॉ वंदना शर्मा को पराजित किया। इनेलो के कलीराम पटवारी तीसरे स्थान पर रहे। डॉ वंदना शर्मा के कारण सफीदों प्रदेश भर में चर्चित हो गया क्योंकि वंदना केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बहन हैं।
2019 विधानसभा का परिणाम
|
Comments