बॉलीवुड की पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के कुछ ही दिनों बाद किन्नर अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है। यह फैसला समुदाय के कई सदस्यों की आपत्ति के बाद लिया गया। इस विवाद के चलते किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी उनके पद से हटा दिया है।
महामंडलेश्वर नियुक्ति पर बढ़ा विवाद
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने के फैसले से अखाड़े के कई वरिष्ठ सदस्य और संत नाराज थे। उनकी नियुक्ति को लेकर अखाड़े में असहमति बढ़ती गई, जिसके बाद यह निर्णय वापस ले लिया गया। महामंडलेश्वर की उपाधि ग्रहण करने के बाद ममता कुलकर्णी ने अपना नाम बदलकर श्री यमाई ममता नंद गिरी रख लिया था। हालांकि, समुदाय के कई लोगों ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे।
महाकुंभ 2025 में किया पिंड दान
हाल ही में प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के दौरान ममता कुलकर्णी की कई तस्वीरें और वीडियो सामने आई थीं, जिनमें वह संगम घाट पर पिंड दान करती नजर आईं। यह घटना भी चर्चा का विषय बनी और उनकी अखाड़े में एंट्री पर विवाद और गहरा गया।
किन्नर अखाड़े में ममता कुलकर्णी की एंट्री पर उठे सवाल
बॉलीवुड से संन्यास लेकर आध्यात्मिक जीवन अपनाने वाली ममता कुलकर्णी की किन्नर अखाड़े में एंट्री को लेकर पहले से ही विरोध जताया जा रहा था। कई वरिष्ठ संतों और अखाड़े के सदस्यों ने उनकी नियुक्ति को सनातन परंपराओं के विरुद्ध बताया था। इसी वजह से अखाड़े के भीतर इस फैसले को लेकर असंतोष बढ़ता गया, जिसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी भी पद से हटाए गए
इस पूरे विवाद के बीच किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी उनके पद से हटा दिया। बताया जा रहा है कि ममता कुलकर्णी की नियुक्ति को लेकर बढ़ते विरोध के कारण यह निर्णय लिया गया।
अखाड़े के निर्णय पर उठे सवाल
ममता कुलकर्णी के निष्कासन की खबर के बाद सनातन परंपराओं और अखाड़ों की कार्यप्रणाली पर नई बहस छिड़ गई है। यह मामला अब धार्मिक और आध्यात्मिक जगत में चर्चा का विषय बन गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या मोड़ आता है और किन्नर अखाड़ा इस विवाद पर क्या रुख अपनाता है।